नई दिल्ली।। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने शुक्रवार को साफ किया कि बीजेपी में उसके प्रतिनिधि सुरेश सोनी समन्वय का अपना काम देखते रहेंगे। संघ का यह बयान लालकृष्ण आडवाणी के लिए झटका माना जा रहा है। सोनी के कामकाज से नाखुश आडवाणी ने उन्हें हटाए जाने की मांग की थी।
बीजेपी और संघ के सूत्रों ने कहा कि दोनों संगठनों के बीच समन्वयक पद से सोनी को हटाने की कोई योजना नहीं है और न ही इसकी संभावना है कि संघ के किसी और नेता को उस पद को साझा करने के लिए नियुक्त किया जाए।
संघ नेता राम माधव ने ट्वीट किया, ‘कुछ अखबारों में छपी इस खबर में कोई सचाई नहीं है कि सुरेश सोनी दरकिनार किए गए हैं। वह बीजेपी के लिए संघ के संपर्क व्यक्ति बने हुए हैं। कोई बदलाव नहीं हुआ है।’ ऐसी खबरें आई थीं कि आडवाणी सोनी से नाखुश हैं क्योंकि उन्होंने पिछले कुछ महीनों में गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी का मजबूती से समर्थन किया था। मोदी को बीजेपी की चुनाव प्रचार समिति का प्रमुख नियुक्त करने में भी सोनी ने अहम भूमिका निभाई थी।
संघ सूत्रों का कहना है कि जॉइंट सेक्रेटरी का पद संभाल रहे सोनी को दरकिनार नहीं किया जाएगा। संघ नेतृत्व नहीं चाहता कि ऐसे समय में जब अगले कुछ महीनों में पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव और उसके बाद लोकसभा चुनाव होने हैं, मौजूदा व्यवस्था में किसी तरह का बदलाव हो। राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और दिल्ली सहित कई अन्य राज्यों में संघ बीजेपी के साथ और ज्यादा विचार-विमर्श करना चाहता है।
सूत्रों ने बताया कि संघ प्रमुख मोहन भागवत तथा महासचिव सुरेश भैयाजी जोशी ने बीजेपी के मामलों में ज्यादा दिलचस्पी लेना शुरू कर दिया है और यह जारी रहेगा। आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी तथा बीजेपी अध्यक्ष राजनाथ सिंह ने जुलाई की शुरुआत में पार्टी के मामलों पर चर्चा के लिए नागपुर का दौरा किया था। मोदी की तरक्की के विरोध में जब आडवाणी ने इस्तीफा दिया था तो उस वक्त भी भागवत ने दखल करके उनसे अपना इस्तीफा वापस लेने को कहा था।