अब तक सिम कार्ड खरीदने पर अपनी पहचान के लिए वोटर आईडी या आधार कार्ड देना होता था लेकिन अब सिम खरीदने के लिए आपको फिंगर प्रिंट्स भी देने पड़ सकते हैं।
गृह मंत्रालय ने दूरसंचार विभाग को एक नोट भेजा है जिसमें सेलफोन सर्विस प्रोवाइडर के लिए फोन नंबर एक्टिवेट करने से पहले ग्राहक की उंगुलियों के निशान या अन्य बायोमिट्रिक पहचान लेना अनिवार्य करने की बात कही गई है।
साथ ही मंत्रालय ने विभाग को एक ऐसा सेंट्रल डाटाबेस बनाने की सलाह दी है जहां सभी सब्सक्राइबर्स के बायोमिट्रिक डाटा मौजूद हों। इस डाटा को राष्टीय सुरक्षा के लिए नेशनल इंटेलिजेंस ग्रिड के पास सुरक्षित रखने की बात भी कही गई है।
आतंकी घटनाओं और अन्य अपराधों में फर्जी पहचान के आधार पर नंबर खरीदने के मामले सामने आते रहे हैं। गृह मंत्रालय ने इसे राष्टीय सुरक्षा के लिए खतरा बताते हुए सिमकार्ड के दुरुपयोग पर रोक लगाने के लिए यह व्यवस्था लागू करने की सलाह दी है।
दूरसंचार विभाग के एक अधिकारी के अनुसार विभाग दूरसंचार सेवा प्रदाताओं समेत सभी हितधारकों से बात करेगा की वे बायोमिट्रिक पहचान लेने के लिए एक सिसटम तैयार करें।
उन्होंने कहा कि यह नियम अब भी है लेकिन रिटेलर्स में प्रतियोगिता के चलते वह इसे लागू नहीं करते।
आतंकी हमले के बाद सख्त हुई सरकार
मुंबई में 26/11 को हुए आतंकी हमले के बाद सिम कार्ड जारी करने के नियमों को सख्त किया गया था। हमले के बाद जांच में पता चला था कि लश्कर-ए-तैयबा के कुछ आतंकियों ने फर्जी दस्तावेजों के आधार पर भारत में सिम कार्ड खरीदे थे।
पिछले साल दूरसंचार विभाग ने भौतिक सत्यापन प्रणाली लागू भी की थी लेकिन इसका बहुत फायदा नहीं हुआ। पुलिस का कहना है कि रिटेलर्स चेतावनी देने के बाद भी नियम का पालन नहीं कर रहे हैं।
पिछले महीने आंतरिक सुरक्षा पर हुई मुख्यमंत्रियों की बैठक में भी यह मुद्दा उठाया गया था। इसमें सिम कार्ड के दुरुपयोग से राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरा होने और इससे बचने के लिए बायोमेट्रिक सिस्टम लागू करने की बात कही गई थी।
इससे पहले दिल्ली पुलिस कमिश्नर ने भी सिम कार्ड प्रदाता कंपनियों के इस नियम का पालन न करने की गृह मंत्रालय से शिकायत की थी। साथ ही इस नियम का उल्लंघन करने वालों को सख्त सजा देने की सिफारिश भी की थी।