केदारनाथ घाटी समेत उत्तराखंड में मची तबाही ने न केवल इंसानों को काल का निवाला बनाया, बल्कि हजारों जानवरों के मारे जाने की आशंका है। और जो जानवर जिंदा है, वे खतरा पैदा कर रहे हैं।
राज्य के अलग-अलग इलाकों में फंसे 4,000 घोड़ों और खच्चरों को अगर खाने का सामान मुहैया नहीं कराया गया, तो वे दिमागी संतुलन खोकर लोगों पर हमला भी कर सकते हैं।
स्थानीय लोगों की आजीविका का स्रोत ये जानवर केदारनाथ मंदिर और हेमकुंड साहिब तक भक्तों को लाने-ले जाने में अहम भूमिका अदा करते हैं।
एनिमल एक्टिविस्ट का कहना है कि केदारनाथ इलाके में फंसे भूखे घोड़ों ने एक समूह पर हमला बोल दिया था। हालांकि, पशुपालन विभाग ने इस बात से इनकार किया है।
एनिमल वेलफेयर बोर्ड ऑफ इंडिया के लखनऊ चैप्टर की सदस्य कामना ने कहा, ‘हमें केदारनाथ में लोगों और घोड़ों में संघर्ष की खबरें मिली हैं। करीब 4,000 घोड़े बिना खाने के वहां 13 दिनों से फंसे हुए हैं।’
उन्होंने घघरिया और सोनप्रयाग इलाके में 2,500 घोड़ों को चारा न मुहैया कराने पर राज्य सरकार को कटघरे में खड़ा किया। कामना ने कहा, ‘हमने शनिवार को चारा भेजा था, लेकिन वह काफी नहीं है।’
उत्तराखंड में साफ-सफाई के काम में लगे एनजीओर वेस्ट वॉरियर्स की जोडी अंडरहिल ने कहा कि भूखे घोड़े और खच्चर स्थानीय अर्थव्यवस्था के लिए बेहद जरूरी हैं।
उन्होंने कहा, ‘अगर ये जानवर जिंदा रहते हैं, तो फिर स्थानीय लोगों के काम आ सकते हैं। लेकिन अगर ये मरते हैं, तो इनके शव प्रदूषण पैदा करेंगे।’