उत्तराखंड में आए कुदरत के कहर ने इंसान से लेकर ‘भगवान’ तक को नहीं बख्शा है। तबाही का आलम यह है कि बद्रीनाथ और केदारनाथ धाम 40 साल पीछे चले गए हैं।
बद्रीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति के मुख्य कार्याधिकारी बीडी सिंह और बदरीनाथ के धर्माधिकारी भुवन चंद्र उनियाल का कहना है कि ये धाम कब यात्रा शुरू करने लायक हो पाएंगे कहना मुश्किल है। इसके अलावा सभी यात्रा मार्ग बेहद खराब स्थिति में हैं और इन्हें दुरुस्त करने में खासा वक्त लगने वाला है।
पल भर में सबकुछ बिखर गया
ऐसे में इस साल चारधाम और सिख धर्म के पवित्र तीर्थ स्थल हेमकुंड साहिब की यात्रा भी आगे जारी रहने पर संशय बना हुआ है। मुख्य कार्याधिकारी सिंह ने आहत स्वरों में कहा कि केदरनाथ धाम में अब रह ही क्या गया है। यह तो शमसान घाट में तब्दील हो गया लगता है। बदरीनाथ को मोक्ष का धाम कहते हैं। लेकिन पल भर में सबकुछ बिखर गया है।
ऐसे में इस साल चारधाम और सिख धर्म के पवित्र तीर्थ स्थल हेमकुंड साहिब की यात्रा भी आगे जारी रहने पर संशय बना हुआ है। मुख्य कार्याधिकारी सिंह ने आहत स्वरों में कहा कि केदरनाथ धाम में अब रह ही क्या गया है। यह तो शमसान घाट में तब्दील हो गया लगता है। बदरीनाथ को मोक्ष का धाम कहते हैं। लेकिन पल भर में सबकुछ बिखर गया है।