महाराजगंज लोकसभा उपचुनाव में मिली करारी हार से नाराज जद (यू) भाजपा पर पलटवार के मूड में है। फिलहाल पार्टी की नजरें गोवा में आगामी शनिवार से शुरू हो रही भाजपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक पर है।
बैठक में अगर गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार बनाए जाने का स्पष्ट संकेत दिया गया तो जद (यू) ने चुप न रहने का फैसला किया है।
वैसे भी उपचुनाव में शिकस्त के बाद बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने मोदी विरोध पर और मजबूती से डटे रहने का फैसला किया है। इसे साबित करने के लिए जद-यू को बस एक मौके का इंतजार है।
पार्टी यह मान कर चल रही है कि अगर मोदी के सवाल पर दोनों दलों का नाता टूटा तो बिहार में जद-यू का मुस्लिम कार्ड चल निकलेगा।
दरअसल उपचुनाव में करारी पराजय पर जद-यू ने नतीजे आने के एक दिन बाद ही गहन मंथन किया था। पार्टी का मानना है कि यहां हार का असली कारण जद-यू उम्मीदवार को भाजपा का वोट न मिलना रहा।
पार्टी के एक वरिष्ठ नेता के मुताबिक नतीजे से यह भी साफ हुआ है कि हमारे परम्परागत मतदाता हमसे दूर नहीं हुए हैं। हां, हमें भाजपा का वोट नहीं मिला।
इससे यह साबित होता है कि जितनी जरूरत हमें भाजपा की है, उतनी ही जरूरत भाजपा को जद-यू की है।
बैठक में कई नेताओं का मत था कि अगर भाजपा से स्थाई दूरी बनानी है तो इसका फैसला समय रहते कर लिया जाना चाहिए। ताकि चुनावी तैयारियों पर असर न पड़े।
इन नेताओं का कहना था कि मोदी के सवाल पर संबंध तोड़ने के बाद पार्टी उन मुसलमान मतदाताओं में अपना पैठ बना सकेगी जो कि तमाम प्रयासों के बाद भी पार्टी के साथ अब तक खड़ा नहीं हुए हैं।
पार्टी सूत्रों के मुताबिक उपचुनाव में हार के बाद नीतीश का मोदी के प्रति विरोध का भाव कम होने के बदले और बढ़ा ही है। समीक्षा बैठक में भी नीतीश ने साफ कर दिया कि पार्टी को मोदी के सवाल पर झुकने की जरूरत नहीं है।
हालांकि इस बारे में पूछे जाने पर राज्य में पार्टी के प्रवक्ता नीरज कुमार ने कहा कि मोदी के मामले में हमारा रुख साफ है।
पार्टी बार-बार उसे दुहराना नहीं चाहती। पार्टी ने अपना पक्ष रख दिया है, इसलिए इस बारे में ज्यादा कुछ कहने की जरूरत नहीं है।