बीएड काउंसिलिंग शुरू होने से पहले उत्तर प्रदेश सेल्फ फाइनेंस एसोसिएशन ने एससी और एसटी छात्रों के लिए झटका दिया है। तय किया है कि वह हर साल की तरह इस बार जीरो बैलेंस पर दाखिला नहीं करेंगे।
सीट एलॉट होने पर तीन दिन के अंदर अभ्यर्थी को फीस जमा करनी होगी। एसोसिएशन ने तीखे तेवर कर सरकार और गोरखपुर विश्वविद्यालय को परेशानी में डाल दिया है।
गौरतलब है कि एससी और एसटी छात्रों का दाखिला जीरो फीस पर होता है। समाज कल्याण विभाग बाद में कॉलेजों को फीस देता है।
दिक्कत यह है कि विभाग कॉलेजों को समय पर फीस नहीं दे रहा है, जिस कारण करोड़ों रुपये बकाया है।
पिछले सत्र की फीस अभी तक नहीं मिली है। पांच जून से बीएड सत्र 2013-14 की काउंसिलिंग शुरू होनी है।
उत्तर प्रदेश सेल्फ फाइनेंस कॉलेज एसोसिएशन के विधि प्रभारी डा. वीएम सक्सेना के मुताबिक कॉलेज बीएड सत्र 2013-14 से राज्य सरकार द्वारा निर्धारित केंद्रीयकृत प्रवेश प्रक्रिया से आवंटित किसी भी ऐसे छात्र का दाखिला नहीं करेंगे, जो सीट आवंटित होने पर तीन दिन के अंदर फीस कॉलेज के सीबीएस खाते में जमा नहीं करते।
सुप्रीम कोर्ट ने कॉलेज ऑफ प्रोफेशनल एजूकेशन एवं अन्य बनाम उत्तर प्रदेश राज्य एवं अन्य की सुनवाई में आदेश दे रखा है कि सीट एलॉट होने के तीन दिन के अंदर फीस जमा हो।
इस बारे में सरकार की तरफ से एडवोकेट जनरल हाईकोर्ट में लिखित में दे चुके हैं कि सरकार कॉलेजों को जीरो बैलेंस पर दाखिले के लिए दबाव नहीं बनाएगी। दोनों आदेश से साफ है कि जीरो बैलेंस दाखिले में कॉलेजों पर मनमानी नहीं हो सकती।
काउंसिलिंग के माध्यम से 25 जून तक आवंटित और खाली सीटों पर पूल व्यवस्था से आठ जुलाई तक भरी गई सीटों को ही वैध माना जाएगा। पांच जून से बीएड काउंसिलिंग के लिए वेरिफिकेशन शुरू होने वाला है।
कॉलेजों में 50 प्रतिशत से ज्यादा सीट एससी और एसटी कोटे से भरी जा रही हैं। डा. वीएम सक्सेना के मुताबिक सीसीएसयू के अंतर्गत 276 बीएड कॉलेजों में पिछले वर्ष 60 से 70 प्रतिशत दाखिले जीरो बैलेंस पर हुए।
नया सत्र शुरू होने वाला है और समाज कल्याण विभाग ने कॉलेजों को फीस नहीं दी। कॉलेज शिक्षकों को तनख्वाह नहीं दे पा रहे हैं।
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पूरे प्रदेश पर पड़ेगा असर
उप्र. सेल्फ फाइनेंस कॉलेज एसोसिएशन से करीब 900 कॉलेज जुड़े हैं। काउंसिलिंग शुरू होने से पहले कॉलेजों के सख्त रुख से संयुक्त बीएड प्रवेश परीक्षा आयोजक गोरखपुर विश्वविद्यालय और सरकार की परेशानी बढ़ गई है।
देखने वाली बात यह है कि बीच का रास्ता क्या निकलता है? डा. सक्सेना के मुताबिक बीएड सत्र 2012-13 में जीरो बैलेंस दाखिला का करीब एक हजार करोड़ रुपये कॉलेजों का बकाया है।