पहाड़ पर तबाही और मौत का मंजर देख चुके लोग अब अपने जेहन में समाए खौफ से लड़ रहे हैं। मौत के नंग-नाच के चश्मदीद इन लोगों के जेहन बुरी तरह ‘जख्मी’ हैं। जिस्म पर लगी चोटें तो भर रहीं हैं, लेकिन मानसिक विघटन हो रहा है। जैसे ही थोड़ा सुकून के लिए पलक झपकाते हैं लगता है एक कयामत निगाहों के सामने से गुजर रही हो।
विशेषज्ञ कहते हैं कि यह ट्रोमेटिक स्ट्रेस डिस्आर्डर है, इसे ठीक होने में कम से कम छह महीने लगेंगे। जोलीग्रांट अस्पताल की इमरजेंसी पहुंचे औरंगाबाद के विजय कुमार और भारती बताते हैं कि ‘ऊखीमठ सुबह के साढ़े सात बजे थे। घने बादल छाए थे और बारिश हो रही थी अचानक भयानक आवाजें आने लगीं। बादल फटा और भूस्खलन होने लगा।
मौत का मंजर
बच्चे, महिलाएं चीखने लगे। चंद मिनट पहले जिंदा लोग लाशें बनकर बहे जा रहे थे। कयामत आ गई थी।’ डाक्टरों ने बताया कि अधिकांश यात्री पोस्ट ट्रोमेटिक स्ट्रेस डिस्आर्डर में हैं। मस्तिष्क ‘ग्रीफ रिएक्शन’ की स्थिति में है। रुद्रप्रयाग के राजकिशोर कहते हैं कि यह दृश्य उन्हें सोने नहीं दे रहा है। जब भी सोने की कोशिश करते हैं। यह दृश्य डराकर उन्हें जगा दे रहा है।
अब कभी नहीं आएंगे
चारधाम यात्रा पर आईं गुजरात की पदमा बेन कहती हैं कि अफरातफरी में उनका बेटा नीरव (26) और उसका दोस्त बाबा बिछड़ गया है। बात करते-करते आंख बंद करती हैं और कान पकड़ लेती हैं। कहती हैं कि अब कभी नहीं आएंगे। लगता है रात न आए। आंख बंद करते हैं तो घुटन होने लगती है।
वही पहाड़, बारिश और मौत का मंजर। पहाड़ और बारिश से डर लगने लगा है। अलग-अलग अस्पतालों में आए इन लोगों की मनोरोग विशेषज्ञ से भी जांच कराई जा रही है। वरिष्ठ मनोरोग विशेषज्ञ नंद किशोर कहते हैं कि यह ट्रामा पूरा व्यक्तित्व प्रभावित करता है। इसके लिए काउंसलिंग की जरूरत पड़ती है।
यह दिक्कत होती है मस्तिष्क में
मस्तिष्क में डोपामिन और सेरोटोनिन नामक न्यूरो केमिकल का बैलेंस बिगड़ जाता है। जिससे मस्तिष्क के ‘सर्किट’ प्रभावित होते हैं। रोगी की सोच एकतरफा हो जाती है, जिसका प्रभाव शरीर के मेटाबोलिज्म पर आता है।
यह लक्षण उभरेंगे
नींद नहीं आएगी
चिड़चिड़ापन बढ़ेगा
डिप्रेशन और एंजाइटी बढ़ेगी
याददाश्त घटेगी
पहाड़, बाढ़, बारिश से फोबिया (डर) हो सकता है
यह करें
पसंदीदा चीजों में खुद को अधिक से अधिक इनवाल्व करें
सोने के पहले व्यायाम करके अपने को थका लें
परिजन घर में हंसी-खुशी का माहौल बनाए रखें
घरवाले घटना का जिक्र ही न करें
.मरीज के सामने किसी भी हादसे की बातें न करें