नई दिल्ली। हाईकोर्ट ने दिल्ली विश्वविद्यालय में प्रस्तावित चार वर्षीय डिग्री पाठ्यक्रम के मौजूदा प्रारूप पर आपत्ति जताने संबंधी याचिका पर जवाब तलब किया है। याचिका में नेत्रहीन छात्रों की जरूरतों की अनदेखी करने का आरोप लगाया गया है।
मुख्य न्यायाधीश डी. मुरुगेसन व न्यायमूर्ति जयंत नाथ की खंडपीठ ने डीयू को 15 मई तक स्पष्ट करने का निर्देश दिया है कि क्यों ना याचिका विचारार्थ स्वीकार कर ली जाए। यह जनहित याचिका एनजीओ संभावना ने दायर की है। याची के अधिवक्ता ने अदालत को बताया कि यदि प्रस्तावित पाठ्यक्रम को उसके मौजूदा प्रारूप में बहु डिग्री के साथ शुरू किया जाता है तो इससे नेत्रहीन छात्रों को नुकसान होगा। इससे वे मुख्य धारा की शिक्षा का हिस्सा नहीं बन पाएंगे। डीयू में आगामी सत्र से चार वर्षीय डिग्री पाठ्यक्रम शुरू होना है। इस संबंधी सिफारिशों परे विश्वविद्यालय की शिक्षा समिति ने विचार किया था। इसके बाद कार्यकारी समिति ने इसे मंजूरी प्रदान कर दी थी लेकिन इस प्रक्रिया में नेत्रहीन छात्रों की जरूरतों को नजरअंदाज किया गया। नेत्रहीन छात्र आठवीं कक्षा के बाद विज्ञान और गणित की पढ़ाई नहीं कर पाते। यदि प्रस्तावित पाठ्यक्रम को प्रारूप में लागू किया जाता है तो नेत्रहीन छात्र पहले साल के फाउंडेशन कोर्स की शर्तों को भी पूरा नहीं कर पाएंगे। अत: डीयू को नेत्रहीन छात्रों की हितों की रक्षा करने का निर्देश दिया जाए।