सीवीसी की नियुक्ति का रास्ता साफ, सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को दी अनुमति
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने केद्र सरकार को केंद्रीय सतर्कता आयुक्त और सतर्कता आयुक्त की नियुक्ति की अनुमति दे दी है । बुधवार को दिए गए फैसले में कोर्ट ने केंद्र को चुने हुए उम्मीदवारों में से इनकी नियुक्ति की अनुमति दी है।
ये पद सीवीसी प्रदीप कुमार का कार्यकाल 28 सितंबर और वीसी जेएम गर्ग का कार्यकाल 7 सितंबर को पूरा होने से रिक्त हुए हैं। इससे पूर्व 18 सितंबर को कोर्ट ने मामले की सुनवाई करते हुए चयन प्रक्रिया में पारदर्शिता नहीं बरतने पर केंद्र सरकार की खिंचाई की थी। इसके बाद सरकार ने आश्वस्त किया था कि कोई भी अंतिम निर्णय कोर्ट की सहमति के बगैर नहीं लिया जाएगा।
कोर्ट ने यह भी कहा था कि सीवीसी और वीसी की चयन प्रक्रिया पारदर्शी नहीं होने से पक्षपात और भाई-भतीजावाद को बढ़ावा मिलता है। इन पदों के लिए सिर्फ नौकरशाहों को ही क्यों चुना जाता है? आम आदमी क्यों इन पदों पर नहीं बैठ सकता? 120 में से पांच नाम चुने जवाब देते हुए अटॉर्नी जनरल ने कहा कि कैबिनेट सेकेट्ररी और 36 अन्य सचिवों ने इन पदों के लिए 120 नाम दिए थे। उनमें से 20 नाम लिए गए और अंतत: पांच नाम चुनकर चयन समिति को भेजे गए।
सीवीसी और सीआइसी जैसे संवैधानिक पदों के लिए राष्ट्रपति नियुक्ति करते हैं। वह प्रधानमंत्री की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय चयन समिति की सिफारिश पर ये नियुक्तियां करते हैं। केंद्रीय सतर्कता अधिनियम 2003 के अनुसार चयन समिति में पीएम के अलावा लोकसभा में नेता विपक्ष और एक केंद्रीय मंत्री [पीएम द्वारा नामित] बतौर सदस्य शामिल रहता है।
राष्ट्रपति इसी समिति की सिफारिश के आधार पर सीवीसी और सीआइसी जैसे पदों पर नियुक्ति करते हैं। इस कानून के तहत यह भी प्रावधान है कि जब लोकसभा में कोई नेता विपक्ष न हो तो सदन में विरोध पक्ष के सबसे बड़े दल के नेता को चयन समिति में शामिल किया जा सकता है। लेकिन साथ ही यह भी स्पष्ट कर दिया गया है कि चयन समिति में कोई स्थान खाली रहने से किसी नियुक्ति को अवैध नहीं ठहराया जा सकता है।