बेंगलुरु।। गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी की रैली ने कर्नाटक बीजेपी में जहां नया उत्साह भर दिया है, वहीं कांग्रेस परेशान लग रही है। पार्टी नेताओं का कहना है कि मोदी की रैली ने कार्यकर्ताओं को चुनाव के लिए प्रेरित करने का काम किया है। यही वजह है कि मोदी को लेकर अब तक संशय में रही कर्नाटक बीजेपी अब 2 मई को उनकी दो और रैलियों का आयोजन करने जा रही हैं। मोदी की ये रैलियां मंगलौर और बेलगाम में होंगी।
रविवार को बेंगलुरु के नैशनल कॉलेज ग्राउंड में भारी जनसमूह को संबोधित करते हुए मोदी ने खूब वाहवाही लूटी थी। इस दौरान मोदी के भाषण में न तो सांप्रदायिक रंग दिखाई दिया और न ही इसमें हिंदुत्व के बोल सुनाई दिए थे। नरेंद्र मोदी ने कहा कि वह कर्नाटक एक उद्देश्य और योजना लेकर आए हैं।
मुख्यमंत्री जगदीश शेट्टार ने कहा, ‘कर्नाटक बीजेपी खुद को निचले स्तर पर महसूस कर रही थी, पार्टी सम्मान बचाने के लिए 50 सीटों की तरफ ध्यान लगाए बैठी थी लेकिन मोदी के भाषण ने कार्यकर्ताओं को प्रेरित करने का काम किया है।’
शुरुआत में बीजेपी मोदी की रैलियों को रोकना चाहती थी क्योंकि स्टेट यूनिट दुविधा में थी कि कहीं विधानसभा चुनाव NaMo-RaGa के बीच जंग बनकर न रह जाए। मोदी की रैली के बाद पार्टी ने महसूस किया है कि कर्नाटक की संवेदनशील जनता उसके फैसले को गलत साबित नहीं होने देगी।
हालांकि, राज्य में पार्टी का एक धड़ा ऐसा भी है जो सोचता है कि मोदी के चाहने वाले उनके ताबड़तोड़ प्रचार न करने से निराश होंगे। राज्य बीजेपी अध्यक्ष प्रह्लाद जोशी ने कहा कि कर्नाटक में मोदी की रैली पर फैसला सामूहिक था और इसने हमारे पक्ष में काम भी किया। अब सभी मोदी की रैलियां चाह रहे हैं।
बीजेपी के स्ट्रॉन्गमैन मोदी जहां कार्यकर्ताओं में जोश भरते दिखाई दिए वहीं, वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी अपनी रैलियों में शालीन दिखाई दे रहे हैं।
मोदी के भाषण ने कांग्रेस के कई नेताओं की नींद भी उड़ा दी है। रुखेपन से ही सही लेकिन एक कांग्रेस नेता ने स्वीकर भी किया कि यह चुनावी संभावनाओं पर असर करेगा और साथ ही इससे बीजेपी कार्यकर्ताओं का आत्मविश्वास भी मजबूत होगा।
हालांकि, राज्य में कांग्रेस के बड़े नेता सिद्धारमैया इससे सहमत दिखाई नहीं देते। वह कहते हैं कि विधानसभा चुनाव के बजाय मोदी का भाषण लोकसभा चुनाव के दौरान दिया गया भाषण ज्यादा लगा। वह कर्नाटक के स्थानीय मुद्दे खोज नहीं सके। मोदी दिल्ली में कांग्रेस के नाम की बीन बजाकर वह एनडीए में प्रधानमंत्री पद के लिए अपनी उम्मीदवारी को मजबूत करने में जुटे हैं।