भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर डी. सुब्बाराव ने कहा है कि कालेधन पर लगाम लगाने के लिए धन के स्रोत का पता लगाने का काम सरकार को करना चाहिए, न कि रिजर्व बैंक और बैंकों को।
उन्होंने कहा कि कोबरापोस्ट द्वारा मनी लांड्रिंग के खुलासे में कोई निर्णायक प्रमाण नहीं मिले हैं। इसके अलावा राव ने कहा कि विकास दर को प्रभावित किए बिना महंगाई को नीचे ला पाना एक बड़ी चुनौती है।
क्या है मामला
उल्लेखनीय है कि स्टेट बैंक ऑफ इंडिया सहित 23 बैंकों और बीमा कंपनियों पर मनी लांड्रिंग सहित केवाईसी नियमों की अनदेखी सहित अन्य आरोप लगे हैं। इनमें पीएनबी, बीओबी, ओबीसी, केनरा, इंडियन बैंक, आईओबी, सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया, आईडीबीआई, इलाहाबाद बैंक, कॉरपोरेशन बैंक, देना बैंक, येस बैंक, धनलक्ष्मी बैंक, डीसीबी बैंक, फेडरल बैंक शामिल है।
प्रमुख आरोप
1. वित्तीय संस्थान मनी लांड्रिंग को उत्पाद के रूप में बेचते हैं।
2. आरोपी बैंकों में बीमा के लिए जुटाई गई ज्यादातर राशि कालेधन के रूप में है।
3. भारतीय दंड संहिता और एंटी मनी लांड्रिंग एक्ट का हो रहा है उल्लंघन।
4. रिजर्व बैंक और वित्त मंत्रालय की भूमिका सख्त नहीं।