सरकारी विज्ञापनों में नेताओं के महिमामंडन पर सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को केंद्र और राज्यों से जवाब मांगा है। जस्टिस सीके प्रसाद और वीजी गौड़ा की पीठ ने ने इनसे इस पर चार सप्ताह में अपना पक्ष रखने को कहा है।
सरकारी विज्ञापनों पर सरकार और सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियां सत्ताधारी नेताओं का जोर-शोर से प्रचार करती है। ऐसे विज्ञापनों में खर्च हो रही भारी भरकम राशि का विरोध करने वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने जवाब मांगा है। एक गैर सरकारी संगठन ने ऐसे विज्ञापनों पर हो रहे करोड़ों रुपए के खर्च को रोकने के लिए कोर्ट से हस्तक्षेप की मांग की।
याचिकाकर्ता की तरफ से पैरवी करते अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने कहा कि सरकारी विभाग लगातार ऐसे विज्ञापन दे रहे हैं, जिसमें नेताओं का महिमामंडन और यशोगान होता है। विज्ञापन ऐसा होता है जिसमें सिर्फ नेता ही नेता नजर आते हैं। उन्होंने कहा कि ऐसे व्यवहार से एक तरफ देश के करदाताओं की मेहनत का पैसा बेकार हो रहा है वहीं दूसरी ओर इससे लोकतांत्रिक ढांचा भी कमजोर हो रहा है। इस पर तत्काल रोक लगनी चाहिए।