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राष्ट्रपति ने की खारिज कीं दया याचिकाएं, 5 को मिलेगी फांसी

नई दिल्ली। राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने फांसी के आरोपियों पर सख्त रुख अपनाते हुए पांच दोषियों की याचिका खारिज कर दी है। इसके साथ ही इन्हें फांसी देने का रास्ता अब साफ हो गया है। इनमें से सबसे जघन्य अपराध करने वाले शख्स का नाम धर्मपाल है।

 राष्ट्रपति के पास ऐसी 7 दया याचिकाएं आई थीं, इनमें से उन्होंने 5 की फांसी बरकरार रखी, जबकि दो दोषियों की फांसी सख्त आजीवन कारावास में बदल दी। इन्हें उम्र भर जेल में ही रहना होगा। जिन पांच दोषियों को फांसी की सजा बरकरार रखी गई है उनमें हरियाणा का धर्मपाल सबसे पहले फांसी पर लटकेगा।

  धर्मपाल फिलहाल रोहतक जेल में बंद है और उसे अगले एक से दो हफ्तों में कभी भी फांसी दी जा सकती है। रेप के आरोपी धर्मपाल ने पैरोल पर रिहा होने के बाद रेप पीड़ित लड़की के परिवार के पांच सदस्यों की हत्या कर दी थी। पिछले 7 साल से धर्मपाल की दया याचिका पर फैसले का इंतजार कर रहा था। आखिरकार राष्ट्रपति ने अब उसकी फांसी की सजा पर मुहर लगा दी। डेथ वारंट मिलने के बाद धर्मपाल की फांसी की तारीख तय हो जाएगी।

 क्या है पूरा मामला

1991 में धर्मपाल पर सोनीपत में एक लड़की के साथ रेप करने का आरोप लगा था। इस मामले में 1993 में कोर्ट ने उसको दस साल की सजा सुनाई। लेकिन उसने लड़की को धमकाना शुरू कर दिया। 1993 में उसे पांच दिन के लिए पैरोल पर रिहा किया गया तो उसने लड़की के मां-बाप, बहन-भाई की हत्या कर दी। इसमें उसका साथ दिया उसके भाई निर्मल ने। इस मामले में कोर्ट ने दोनों फांसी की सजा सुनाई।

 1999 में सुप्रीम कोर्ट ने धर्मपाल की सजा कायम रखी, लेकिन निर्मल की सजा उम्रकैद में तब्दील कर दी। निर्मल 2001 में पैरोल पर रिहा होने के बाद फरार हो गया। उसे 10 साल बाद फिर से अरेस्ट किया गया। धर्मपाल ने 1999 राष्ट्रपति के समक्ष दया याचिका दाखिल की लेकिन ये खारिज हो गई। 2005 में उसने दोबारा दया याचिका दाखिल की, जिसे राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने खारिज कर दिया।

NCR Khabar News Desk

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