देश के करीब दस राज्यों में बिजली संकट गहरा सकता है.बिजली कंपनी एनटीपीसी और कोल इंडिया में कोयले के विवाद के चलते ऐसा हो सकता है.
क्योंकि कोल इंडिया का आरोप है कि एनटीपीसी ने करीब एक करोड़ रुपए का बकाया अभी तक नहीं दिया है.वहीं एनटीपीसी ने इसका खंडन किया है.
बेनतीजा रही बैठक
इस पर कोयला नियामक विधेयक के मामले पर अंतर मंत्रालयी समिति की बैठक बेनतीजा रही. समिति की बैठक फिर होगी.
प्रस्तावित विधेयक में कोयला क्षेत्र के लिए नियामक गठित करने का प्रस्ताव है. इस बारे में वित्तमंत्री पी चिदंबरम की अध्यक्षता वाले अधिकार संपन्न समूह की बैठक हुई.
कोयला मंत्री श्रीप्रकाश जायसवाल ने कहा, ‘हमने कोयला नियामक विधेयक पर विचार विमर्श किया लेकिन किसी नतीजे पर नहीं पहुंचे. अभी और बैठक होगी.
वहीं आयातित तथा घरेलू कोयले की औसत कीमत ‘प्राइस पूलिंग’ को लेकर बिजली व कोयला मंत्रालयों का गतिरोध भी समाप्त नहीं हो पाया है.
कोयले की आपूर्ति बहाल होगी
एनटीपीसी के साथ कोयले की गुणवत्ता को लेकर गतिरोध के बाद कोल इंडिया ने कहा कि वह बिजली कंपनी के गुणवत्ता मुद्दे को उठाये जाने के बावजूद कोयले की पूरी आपूर्ति बहाल करेगा.
कोल इंडिया की पूर्वी अनुषंगी इकाई ने पिछले सप्ताह एनटीपीसी को कोयले की आपूर्ति बंद करने की चेतावनी दी थी.
एनटीपीसी द्वारा कोयले की गुणवत्ता खराब होने को लेकर बिलों का भुगतान करने से मना करने के बाद ईंधन आपूर्ति रोके जाने की चेतावनी दी गयी थी. एनटीपीसी का कहना था कि कोयले की गुणवत्ता संतोषजनक नहीं है.
सरकार के हस्तक्षेप के बाद कोल इंडिया ने 50 प्रतिशत आपूर्ति बहाल की थी.
मामले का सौहार्दपूर्ण हल निकालने के लिये सार्वजनिक क्षेत्र की दो कंपनियों ने कोयला सचिव एसके श्रीवास्तव से भेंट की.
कोल इंडिया के चेयरमैन और प्रबंध निदेशक एस नरसिंग राव ने कहा कि हमने एनटीपीसी को कोयले की आपूर्ति शुरू कर दी है.
कोयले की गुणवत्ता पर एनटीसीपी के सीएमडी अरूप राय चौधरी ने कहा, ‘हम जल्दी ही मामले को सुलझा लेंगे.’