सरकार मुंबई के 1993 बम कांड में आरोपी अंडर वर्ल्ड डॉन अबू सलेम के खिलाफ विस्फोटक के साथ हथियार रखने और टाडा की विभिन्न धाराओं में लगे आरोप वापस लेना चाहती है। उसने सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल कर सलेम पर लगे आठ में से छह आरोप वापस लेने की अनुमति मांगी है। सरकार ने कोर्ट से उस पूर्व आदेश में भी बदलाव का अनुरोध किया है, जिसमें सलेम की याचिका खारिज करते हुए प्रत्यर्पण शर्तो के अलावा लगाए गए आरोपों में मुकदमा चलाने को हरी झंडी दे दी थी। 2005 में पुर्तगाल से प्रत्यर्पित सलेम का मामला मुंबई की टाडा कोर्ट में चल रहा है। सुप्रीम कोर्ट के स्थगन आदेश के कारण फिलहाल सुनवाई पर रोक है।
सोमवार को सरकार की ओर से पेश अटार्नी जनरल जीई वाहनवती ने कोर्ट से 10 सितंबर 2010 के फैसले में संशोधन का अनुरोध किया है। उन्होंने कहा, सरकार सलेम के खिलाफ लगे कुछ आरोपों पर जोर नहीं देना चाहती है। न्यायमूर्ति पी सथाशिवम की अध्यक्षता वाली पीठ ने उनकी दलीलें सुनने के बाद सलेम को अर्जी का जवाब दाखिल करने के लिए 4 सप्ताह का समय देते हुए सुनवाई 9 जुलाई तक टाल दी।
सरकार की अर्जी में सलेम के प्रत्यर्पण के समय पुर्तगाल सरकार से किए वादे का हवाला दिया गया है। कहा गया है कि पुर्तगाल सरकार ने सलेम को फांसी और 25 साल से ज्यादा की सजा न देने की शर्त पर ही प्रत्यर्पित किया था। यह भी शर्त थी कि सलेम को जिन अपराधों के लिए प्रत्यर्पित किया जा रहा है, सिर्फ उन्ही धाराओं में मुकदमा चलाया जाए। सरकार का कहना है कि टाडा अदालत ने सलेम पर 8 आरोप तय किए हैं जिनमें से छह में मुकदमा चलाने के लिए प्रत्यर्पण नहीं हुआ है। सलेम ने प्रत्यर्पण शतरें के उल्लंघन का आरोप लगाते हुए अतिरिक्त आरोप निरस्त करने की मांग की थी लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने याचिका खरिज करते हुए अपने 2010 के फैसले में कहा था कि सलेम को जिन धाराओं में मुकदमा चलाने के लिए प्रत्यर्पित किया गया है उससे कम सजा वाले और आरोपों में भी मुकदमा चल सकता है। सलेम ने इस मामले को पुर्तगाल अदालत में याचिका दाखिल कर प्रत्यर्पण निरस्त करने की मांग की थी, जिस पर पुर्तगाल की अदालत राजी हो गई।
पुर्तगाल के सुप्रीम कोर्ट और संवैधानिक कोर्ट ने भारत सरकार की अपील खारिज कर दी है। सरकार ने कहा है कि दोनों देशों की अदालतों के बीच मतभिन्नता हो गई है। सरकार ने दोनों देशों के बीच सामंजस्य बनाने और दिए वचन को निभाने का हवाला देते हुए आरोप वापसी अनुमति मांगी है। सरकार ने कहा है आरोप वापस लेने से ज्यादा फर्क नहीं पड़ेगा क्योंकि जिन आरोपों में मुकदमा चलेगा वे भी गंभीर हैं।