यही है इनक्रेडिबल इंडिया, गांव वालों ने बना डाला पुल

आनंदपुर साहिब के संत तूने कर दिया कमाल, दिलाने चले आजादी बिना सत्ता, बिना सरकारी माल.जी हां, साबरमती के संत ने बिना खडग बिना ढाल देश को आजादी दिलाई लेकिन आनंदपुर साहिब के संत बाबा लाभ सिंह ने कारसेवा के बल पर सतलुज दरिया के पार टापू में तब्दील आधा दर्जन से अधिक गांवों के ग्रामीणों को आजादी दिलाने का बीड़ा उठाया है।

संत ने उठाया बीड़ा:-

इन गांवों के ग्रामीणों के लिए सहारा बने संत बाबा लाभ सिंह ने सेवा के पिलर पर सतलुज दरिया पर 20 करोड़ की लागत से पुल बनाने का काम शुरू किया है। बेशक इस ऐतिहासिक काम के लिए कोई सरकारी मदद नहीं मिली, फिर भी पुल निर्माण का 70 फीसद काम पूरा हो चुका है।

आमतौर पर पुल, बांध, सड़क निर्माण सरकारी सहायता के बगैर असंभव माना जाता है, लेकिन सतलुज दरिया पर गांव मटौर व बुर्ज के बीच बन रहे इस लगभग चार सौ मीटर लंबे पुल का निर्माण बिना किसी सरकारी सहायता से हो रहा है। गांव मटौर के सरपंच सुरिंदर मटौर बताते हैं कि सतलुज दरिया पार बसे गांव बुर्ज समेत करीब आधा दर्जन से अधिक गांवों में आम दिनों में भी वाहनों से आना-जाना मुश्किल होता है। बारिश के मौसम में तो ये गांव टापू में तब्दील हो जाते हैं। यहां तक कि कई बार ये गांव देश से कट जाते हैं।

बिन सरकारी मदद के हो रहा निर्माण :-

वर्षो से इन गांव के लोग पुल निर्माण के लिए सरकार से गुहार लगा रहे थे, लेकिन इनकी आवाज सत्ता के गलियारों में नहीं सुनी गई। थकहार कर पांच वर्ष पहले गांव बुर्ज के ग्रामीण कार सेवा वाले संत बाबा लाभ सिंह के शरण में गए और उन्हें अपनी बेबसी की दास्तां सुनाई। इसके बाद बाबा जी ने तत्काल प्रभाव से कार सेवा की मदद से सतलुज दरिया पर पुल बनवाने का बीड़ा उठाया। तब दरिया की धार छोटी थी। सिर्फ पांच पिलर के सहारे पुल खड़ा करना था।

लगातार बढ़ता गया पुल का खर्च :-

आर्थिक मुश्किलों के बीच समय गुजरने के साथ ही दरिया की धार चौड़ी होती गई और पुल की लंबाई बढ़ती चली गई। इस समय पुल के पिलरों की संख्या दस हो चुकी है, लागत लगभग बीस करोड़ तक पहुंच चुकी है, लेकिन इस सबके बीच पांच वर्षो में थोड़ा-थोड़ा करके पुल का लगभग सत्तर फीसदी निर्माण कार्य पूरा हो चुका है। सभी पिलर बनकर तैयार हैं। आधे से अधिक हिस्से में स्लैब ढालने का काम भी पूरा हो चुका है। अगले साल-डेढ़ साल में कार्य पूरा हो जाने की उम्मीद है।

हर हाथ दे रहा साथ :-

पुल निर्माण में ग्रामीण भी हर तरह की सेवा कर रहे हैं। आर्थिक मदद करने के साथ-साथ मजदूरी व खान-खर्च का जिम्मा भी ग्रामीण उठा रहे हैं। पुल निर्माण का मुआयना करने जब दैनिक जागरण की टीम पहुंची तो वहां काम में जुटे पंच ज्ञान सिंह व सरपंच सुरिंदर सिंह ने बताया कि मजदूरी के लिए ग्रामीणों की पाली बंधी हुई है। ढलाई के समय पूरे गांव के लोग जुट जाते हैं।

सभी कर रहे खाने-पीने का प्रबंध :-

हर घर से खाने-पीने का प्रबंध में आपस में बंटा है। ग्रामीण सामर्थ्य अनुसार धनराशि भी देते हैं। ग्रामीण भजन सिंह, निर्मल कौर, कमलजीत कौर, गुरमेल सिंह ने कहा कि ग्रामीण पूरी तरह से पुल को समर्पित हैं। इसका आकलन इस बात किया जा सकता है कि ग्रामीण भजन सिंह के घर से पांच वर्षो से लगातार सब्जी पक कर काम करने वालों के लिए आ रही है।

पहले भी पुल निर्माण करवा चुके हैं संत लाभ सिंह :-

पुल निर्माण का प्रबंध पूरी तरह से कार सेवा वाले संत बाबा लाभ सिंह के हाथ हैं। बाबा अवकाश प्राप्त इंजीनियर बाबा जी पहले भी इस इलाके में एक छोटे पुल का निर्माण करवा चुके हैं। बाबा जी का कहना है कि समाज भलाई के काम से बढ़कर कोई काम नहीं है। उनका ही जीवन समाज को समर्पित है।