लखनऊ। यूपी के प्रतापगढ़ के कुंडा में डीएसपी जिया उल हक की मौत के मामले में सीबीआई बुधवार को प्रारंभिक रिपोर्ट सौंप दी है। रिपोर्ट के मुताबिक इस कांड में रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया के हाथ के संकेत नहीं मिले हैं। सीबीआई की प्रारंभिक रिपोर्ट कहती है कि इस हत्या में भीड़ के ही हाथ का अंदेशा है।
इससे पहले, कुंडा सर्किल के चारों थानों हथिगवां, कुंडा, नवाबगंज और महेशगंज के थानेदार समेत सभी पुलिसकर्मियों को बुधवार को हटाने के निर्देश जारी कर दिए गये। शासन ने इलाहाबाद जोन के आइजी को जिम्मेदारी दी है कि सभी पुलिसकर्मियों को जोन के दूसरे परिक्षेत्र में तैनात कर उनकी जगह नये लोगों को भेजा जाय। पुलिस महानिदेशक की ओर से अपर पुलिस अधीक्षक आशा राम यादव के हटाये जाने का प्रस्ताव न मिल पाने की वजह से उनको हटाने का फैसला नहीं हो सका।
बुधवार को एनेक्सी के मीडिया सेंटर में गृह सचिव आरएन उपाध्याय और पुलिस महानिरीक्षक कानून-व्यवस्था राजकुमार विश्वकर्मा ने पत्रकारों को यह जानकारी दी। यह पूछे जाने पर कि अभी कई थानेदार महज दस दिन के भीतर तैनात किये गये तो उनको हटाने का निर्णय क्यों हुआ? अधिकारियों का कहना था कि सीबीआइ एक महत्वपूर्ण जांच एजेंसी है, जिसका हम आदर करते हैं और उनकी मंशा का सम्मान करते हुए यह निर्णय लिया गया है। दो मार्च को प्रतापगढ़ के बलीपुर गांव में सीओ कुंडा जियाउल हक, ग्राम प्रधान नन्हें यादव और उनके भाई सुरेश यादव की हत्या की जांच कर रही सीबीआइ ने जांच में रोड़ा बन रहे पुलिसकर्मियों को हटाने के लिए शासन को पत्र लिखा था।
सीबीआइ के पत्र के संदर्भ में गृह सचिव ने बताया कि सीबीआइ हेडक्वार्टर स्पेशल क्राइम जोन के संयुक्त निदेशक आरएस भट्टी ने एएसपी समेत कुंडा सर्किल के पुलिसकर्मियों को हटाने के लिए 28 मार्च को डीजीपी और मुख्य सचिव को एक पत्र लिखा था। तीस मार्च को यह पत्र प्रमुख सचिव गृह को मिला। इसके बाद आवश्यक कार्रवाई शुरू हुई। अधिकारियों ने बताया कि हम सीबीआइ को जांच में पूरा सहयोग कर रहे हैं और गुण दोष पर विचार करने के बाद ही कोई फैसला किया जाता है। अभी तक एएसपी को न हटाये जाने के संदर्भ में अधिकारियों ने बताया कि कानपुर में समीक्षा बैठक होने की वजह से डीजीपी की ओर से प्रस्ताव नहीं मिला, जिससे यह फैसला नहीं हो सका। डीजीपी का प्रस्ताव मिलते ही एएसपी को वहां से हटाकर नई तैनाती की जायेगी।