जयपुर.विदेशी प्रोजेक्ट कम होने से इस सेशन में जहां इंजीनियरिंग स्टूडेंट्स को नौकरी पाने के लिए ज्यादा मेहनत करनी पड़ रही है, वहीं कई कंपनियों ने पूरी तरह से राजस्थान टेक्निकल यूनिवर्सिटी (आरटीयू) के इंजीनियरिंग स्टूडेंट्स को रिक्रूट करने में दिलचस्पी खत्म कर ली है। कुछ कंपनियां अंतिम विकल्प के तौर पर ही आरटीयू के इंजीनियरिंग स्टूडेंट्स को नौकरी दे रही हैं।
आईटी कंपनी एक्सेंचर और आईबीएम ऐसे ही कुछ नाम हैं, जिन्होंने आरटीयू के कॉलेजों से किनारा कर लिया है। वहीं इंफोसिस, टाटा टेक्नोलॉजीज ऐसी कंपनियां हैं जो अंतिम विकल्प के तौर पर आरटीयू के इंजीनियरिंग स्टूडेंट्स का सलेक्शन कर रही हैं। गत वर्ष टाटा टेक्नोलॉजी ने एक कॉलेज से केवल 12 स्टूडेंट्स को नौकरी दी, जबकि अन्य राज्यों से इसी कंपनी ने 800 से ज्यादा प्लेसमेंट किए।
ये हैं वजह
कंपनियों का तर्क है कि आरटीयू करिकुलम में बदलती टेक्नोलॉजी और सिलेबस को शामिल नहीं करती। ऐसे में नई टेक्नोलॉजी इंट्रोड्यूस हो जाती हैं और स्टूडेंट्स पुराना सिलेबस पढ़ते रहते हैं। जेईसीआरसी के प्लेसमेंट ऑफिसर रमेश रावत का कहना है, आरटीयू का रवैया देखकर कई कंपनियां प्लेसमेंट के लिए आने से मना करने लगी हैं। कुछ कंपनियों के सामने आरटीयू का इंप्रैशन बेहद खराब है। पूर्णिमा ग्रुप ऑफ कॉलेजेज की प्लेसमेंट ऑफिसर मीनू सक्सेना का कहना है, परीक्षाओं और परिणाम में देरी इस क्राइसिस की सबसे बड़ी वजह है।
खासकर बैक परीक्षाओं के परिणाम के लिए स्टूडेंट्स को सालभर इंतजार करना पड़ता है। महाराष्ट्र के कॉलेजों में जुलाई में परिणाम आने के बाद स्टूडेंट्स नौकरी जॉइन कर लेते हैं, लेकिन यहां लेटलतीफी की वजह से स्टूडेंट्स पीछे रह जाते हैं। कोर सेक्टर की उत्तम स्टील एक ऐसी कंपनी थी, जो काफी साल पहले तक कॉलेजों में आती थी, लेकिन यूनिवर्सिटी का रवैया देखने के बाद इसने किनारा कर लिया।
इंटर्नशिप का समय कम
एसकेआईटी के कॉपरेरेट कम्युनिकेशन हैड विनीत जैन बताते हैं, अन्य राज्यों में टेक्निकल कोर्स ज्यादा एडवांस हैं। ये नई टेक्नोलॉजी से अपग्रेड रहते हैं और इसे करिकुलम में शामिल करते रहते हैं। उदाहरण के तौर पर पंजाब यूनिवर्सिटी में इंडस्ट्री के लिए एक सेमेस्टर समर इंटर्नशिप का होता है, जबकि आरटीयू के करिकुलम में महीनेभर से ज्यादा नहीं है।
यह चाहती हैं कंपनियां स्टूडेंट्स से
>दक्षिण भारत की कुछ यूनिवर्सिटीज इंडस्ट्री के साथ जुड़ी हुई होती हैं। वे अपना करिकुलम इंडस्ट्री के विशेषज्ञों के साथ मिलकर लगातार अपडेट करती रहती हैं। जिससे इंडस्ट्री को ठीक वैसे ही स्टूडेंट मिलते हैं, जैसा वे चाहती हैं।
>इंडस्ट्रियल ट्रेनिंग का समय ज्यादा होना चाहिए। ताकि नौकरी के बाद स्टूडेंट्स से काम लेने पर फोकस हो।
>सॉफ्ट स्किल्स को करिकुलम का पार्ट बनाया जाए। इसमें स्टूडेंट्स का पास होना अनिवार्य हो।
‘आरटीयू सेंट्रलाइज्ड प्लेसमेंट सैल बनाने की तैयारी में है। यूनिवर्सिटी में जल्द ही ट्रेनिंग एंड प्लेसमेंट ऑफिसर की नियुक्ति होगी। इसे देशभर में यूनिवर्सिटी की ब्रांडिंग और कंपनियों से प्लेसमेंट के लिए बात करने की जिम्मेदारी सौंपी जाएगी। वे कंपनियों से प्लेसमेंट फेयर आयोजित करने की सिफारिश करेंगे, ताकि कंपनियों को एक जगह टैलेंट पूल मिल सके।’
प्रो. आर.पी यादव
वाइस चांसलर, आरटीयू