बदलती खान-पान शैली और बिगड़ती लाइफ स्टाइल से दिल के रोग जितनी तेजी से बढ़ रहे हैं, उससे कहीं तेजी से प्रमुख कारक जीन के म्यूटेशन से भी यह बीमारी बढ़ रही है।
पीजीआई के कार्डियोलॉजी विभाग और एक्सपेरीमेंटल मेडिसिन विभाग के हालिया शोध में खुलासा हुआ है कि कार्डियोमायोपैथी (हार्ट के बड़े हो जाने की बीमारी) शरीर में मौजूद ‘मायोसीन बॉयोडिन प्रोटीन-सी’ नाम के जीन के म्यूटेट होने की वजह से होती है। पीजीआई अब इस बदल रहे जीन के म्यूटेशन को रोकने के लिए दवा को विकसित करने जा रहा है। इससे लोगों में जीन के म्यूटेशन को रोका जा सके। इसके लिए पीजीआई ने वायरोलॉजी और एक्सपेरीमेंटल विभाग से संपर्क भी किया है।
पीजीआई के एक्सप्रेरीमेंटल विभाग की प्रमुख प्रो. मधु खुल्लर कहती है कि दिल की तमाम बीमारियों में हार्ट के एंलार्ज होने (कार्डियोमायोपैथी) की समस्या बहुत ज्यादा है। प्रो. खुल्लर ने बताया कि कार्डियोलॉजी विभाग के डॉ. अजय बहल और उन्होंने मिलकर अपने कार्डियोमायोपैथी के मामलों में जीन को पहचानने के लिए शोध की। इस शोध के दौरान पता चला कि ‘मायोसीन बॉयोडिन प्रोटीन-सी’ नामक जीन के म्यूटेट होने की वजह से ये बीमारी होती है।
प्रो. खुल्लर के मुताबिक पीजीआई में इस बीमारी के अब जितने भी मरीज पहुंचते हैं उनके पूरे परिवार की भी जांच कराई जा रही है, ताकि उनको अगर उनमें इस बीमारी के शुरुआती लक्षण हैं तो उनको रोका जा सके। उन्होंने बताया कि अब पीजीआई इस कोशिश में जुटा है कि इस बीमारी के जीन के म्यूटेशन को रोका जाए। इसके लिए कार्डियोलॉजी, एक्सपेरीमेंटल मेडिसिन और वायरोलॉजी विभाग मिलकर काम करेंगे। इस बीमारी को जीन थेरेपी के माध्यम से भी दूर करने की कोशिश की जाएगी।
:-पीजीआई में अब कारक जीन के म्यूटेशन को बदलने वाली दवा पर काम होगा।
:-कार्डियोलॉजी और एक्सपेरीमेंटल मेडिसिन ने किया शोध।
:-बहुत ज्यादा दिनों तक होने वाले वायरल और दवाओं के साइड इफेक्ट के अलावा संक्रमण से इस तरह की बीमारी होती है।