महिलाओं के खिलाफ होने वाले अपराधों में हरियाणा पुलिस कमाल की जांच करती है। महिलाओं के साथ होने वाले अपराधों के एक चौथाई मामले तो पुलिस रद कर देती है और पांच फीसदी की जांच ही नहीं कर पाती। अपहरण की आधी घटनाएं तो अनट्रेस ही रह जाती हैं।
हरियाणा में वर्ष 2011 के दौरान एक अप्रैल से 31 दिसंबर तक अपहरण के 755 मामले दर्ज हुए थे। पुलिस ने सिर्फ 431 मामलों में ही आरोपियों को गिरफ्तार किया था। शेष मामले अनट्रेस ही हैं। वर्ष 2012 में 12 महीने के दौरान अपहरण की 1271 घटनाओं में से सिर्फ 515 में ही आरोपियों को पुलिस गिरफ्तार कर सकी। इस साल जनवरी के महीने में 157 अपहरण की घटनाओं में से सिर्फ 33 में ही आरोपियों को गिरफ्तार कर सकी है।
दहेज उत्पीड़न के वर्ष 2011 में 2196 मामलों में से सिर्फ 1287, वर्ष 2012 में 3148 में से 2019 और इस साल जनवरी में 274 मामलों में से 82 में ही आरोपियों को गिरफ्तार कर सकी है। चोरी के मामलों की जांच में तो हरियाणा पुलिस फेल रही है। वर्ष 2011 के नौ महीने में चोरी के 13767 मामलों में से सिर्फ 3720 में आरोपियों को गिरफ्तार कर सकी है। पिछले साल बारह महीने के दौरान चोरी के 17598 मामलों में से सिर्फ 4236 में ही गिरफ्तार कर सकी है। इस साल जनवरी महीने में चोरी के 1314 मामलों में से सिर्फ 198 में ही गिरफ्तार करने में पुलिस सफल रही है।
डकैती जैसे गंभीर जुर्म के वर्ष 2011 में नौ महीने के भीतर 125 मामले दर्ज हुए थे मगर पुलिस 91 में आरोपियों को गिरफ्तार कर सकी। पिछले साल डकैती की 204 घटनाओं में से सिर्फ 135 में गिरफ्तार कर सकी। पिछले महीने डकैती की आठ घटनाओं में सिर्फ चार को ही पुलिस सुलझा सकी।
कत्ल के मामले सुलझाने में भी पुलिस फिसड्डी रही है। वर्ष 2011 के नौ महीने के दौरान कत्ल के 841 मामलों से 662, पिछले साल 991 मामलों में से 732 और पिछले महीने 66 में से 44 को ही पुलिस सुलझा सकी है।
20 फीसदी मामले रद होते हैं
हरियाणा में एक जनवरी, 2005 से 31 जनवरी, 2013 तक महिलाओं के विरुद्ध अपराध की 43,760 घटनाएं हुईं। इनमें से पुलिस ने 19 फीसदी यानी 8300 मामले तो रद ही कर दिए। इसके अतिरिक्त 4.2 फीसदी यानी 1840 मामलों को पुलिस हल ही नहीं कर पाई। पुलिस ने 54,445 लोगों को गिरफ्तार किया और सभी के खिलाफ अदालत में चालान पेश किया। मगर 8.6 फीसदी को ही अदालत से सजा मिल पाई।
पुलिस महानिदेशक एसएन वशिष्ठ का कहना है कि हाईकोर्ट के आदेश के कारण गुम हुए लोगों की अपहरण में एफआईआर दर्ज होती है। इसलिए ये आंकड़े बढ़ गए हैं। दहेज उत्पीड़न के अधिकतर केस जांच में सही नहीं पाए जाते इसलिए रद हो जाते हैं। चोरी के केस सुलझाने के लिए सभी अधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं। महिलाएं भी अब मामला दर्ज कराने में आगे आ रही हैं यह अच्छी बात है। पुलिस स्वतंत्रता से एफआईआर दर्ज करती है और निष्पक्षता के साथ पूरी मेहनत से जांच करती है। अभी कुछ मामले अदालतों में विचाराधीन हैं इसलिए सजा पाने वालों की संख्या कम है। – See more at: http://www.amarujala.com/news/states/haryana/haryana-police-cancelled-one-fourth-crime-cases-against-women/#sthash.JDQKJcGp.dpuf