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फीसमाफ़ी भाग 2: बाहरी संगठनों के द्वारा फीस माफी के विरोध के चलते मुश्किल है फीस माफ होना

फीस माफ़ी पर चल रहे स्कुल और अभिभावकों के बीच चल रही लड़ाई को हम दोनों ही पक्षों की बात को सामने रखने का प्रयास कर रहे है I इसको शुरू करने के समय हमारा विचार इस पर एक स्टोरी करने का था लेकिन आप लोगो के जबरदस्त रिस्पोंस ने हमें इसे विस्तृत रूप में बदलने पर मजबूर कर दिया I अब अगले 9 दिनों तक आने वाली इस सीरीज में हम विभिन्न संगठनो, स्कुलो, राजनेताओं. सामाजिक विचारको और सरकार के साथ साथ आम अभिभावकों का भी अनसुना पक्ष रखने की कोशिश करेंगे I इसी क्रम में दुसरे भाग हम कोचिंग एसोशियेशन के अम्बुज सक्सेना की बात आपके सामने रख रहे है I आप सभी लोग अपनी राय इस सीरीज पर दे सकते है ताकि इस विषय पर सभी का सच सामने आ सके

आज पूरा विश्व कोरोंना महामारी की चपेट में है आर्थिक व्यवस्था तहस नहस हो गई है लोगों के सामने भरण पोषण की समस्याओं ने घेर लिया है और सबसे ज्यादा अगर कोई प्रभावित है तो वो है मध्यम वर्गीय और इस मध्यम वर्गीय लोगों की मुख्य समस्या है परिवार का पेट भरना एवं बच्चों की फीस देना. तालाबंदी है फिर भी स्कूल अभिभावकों से फीस मांग रहे हैं लेकिन इस समय अभिभावकों को फीस देना बहुत ही मुश्किल और चुनौती भरा है अभिभावकों के द्वारा अपील की जा रही है कि स्कूल इन तीन महीनों की फीस न ले लेकिन स्कूल फीस माफी की अपील बिल्कुल नहीं सुन रहा है

इस समय विभिन्न अभिभावक संगठन भी फीस माफी की मांग के लिय सक्रिय हो गय है लेकिन इन अभिभावक संगठनों मे स्कूल के अभिभावक न होकर बाहरी लोग है, कुछ नेता लोग भी शामिल है और ये पेरेंट्स से बातचीत नहीं न के बराबर करते हैं इन बाहरी संगठनों के द्वारा फीस माफी का विरोध मुश्किल है फीस माफ होना

अगर अभिभावकों को अपने बच्चो की फीस माफ या कम कराना है तब आप लोग अपने ही स्कूल के बच्चों के अभिभावकों के साथ अपना खुद का संगठन बनाए तभी सफलता मिलेगी न कि बाहर के लोगों के संगठनों के साथ मिलकर अपील करे जितने भी स्कूल है उनमे पढ़ने वाले बच्चों के अभिभावक मिलकर एक एक एसोसिएशन बनाए और इन स्कूलो के अभिभावकों के द्वारा बने संगठन एक साथ मिलकर काम करे

ये जो बाहरी संघठन है ये अपनी राजनीति चमकाने आते हैं क्योंकि इन मे कुछ लोग विभिन्न राजनीतिक दलों के लोग भी होते हैं जिनको अपनी फोटो सेशन करा कर अपना नाम चमकाना होता है और केवल अपना ही नफा या नुकसान सोचते हैं और अभिभावकों से कहते हैं कि मेरी पार्टी की सरकार होती तब ये होता वो होता

एक बहुत ही मुख्य और जरूरी बात कुछ संगठन ऎसे भी है जो अभिभावकों से एक अनुबंध पर हस्ताक्षर भी कराते हैं कि उनका संगठन आप लोगों की (अभिभावकों की) लड़ाई लड़ेगे और फिर स्कूल से डील कर लेते हैं और आपको किनारे कर दिया जाता है

एक बात और ध्‍यान मे रखना है कि किसी भी अभिभावक को या उनके द्वारा बनाए गए संगठन को किसी भी अध्यापक से नहीं लड़ना है और न ही उनसे फीस माफी के लिए कहे आपकी लड़ाई स्कूल management (प्रबंधन) से है न कि अध्यापक से और जब आप अपने बच्चो के साथ स्कूल में हो तब भी फीस माफी की बात प्रबंधन से नहीं करनी चाहिए

आप सभी स्वयं का संगठन बनाए और गांधी वादी तरीके से लड़ाई लड़े सफलता अवश्य मिलेगी लेकिन सफलता के लिए अभिभावकों का एकजुट रहना बहुत जरूरी है आपकी सफलता की कामना करते हैं
अम्बुज सक्सेना

इस सीरीज के अन्य भाग के लिए

फीसमाफ़ी : क्या स्कूलफीस माफी अभियान स्कूल और संगठनो के बीच रस्साकशी मात्र है ? भाग 1

एन सी आर खबर ब्यूरो

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