सोशल मीडिया से

देश हित में किसी भी निर्णय में जनता खुले दिल से सरकार के साथ खड़ी होने को तैयार है. फिर भी मुद्रा बदलने की प्रक्रिया को अधिक सुविधाजनक बनाया जाना चाहिए था- आर एन श्रीवास्तव

अनेक विभिन्नताओं को साथ लेकर चलने की चुनौती प्रधान मंत्री के सामने हमेशा रहती है. इन विचित्रताओं के मध्य अनेक चुनौतियों को पछाड़ते पछाड़ते काले धन और आतंकी गतिविधियों को मिलने वाली वित्तीय सहायता को समाप्त करने के व नकली नोटों की चुनौती से निपटने के उद्देश्य से अचानक 500 व 1000 के नोटों की स्वीकार्यता समाप्त करने की घोषणा कर दी. अचानक दो मुद्राएँ विधिक मुद्राएँ नहीं रहीं. बढ़ती हुई महँगाई के चलते बाज़ार और जेबों में अधिक से अधिक 500 व 1000 के नोट ही रखे जाते थे. और 100 के नोट की औकात केवल फुटकर मुद्रा की ही रह गई थी. लेकिन सरकार के इस निर्णय से 100 के नोट ने ही बुरे वक्त में साथ दिया. 500/1000 के नोट बंद होने से बहुत बड़ी समस्या आम आदमी को नहीं होती अगर नये नोट मिलने की सुविधा बेहतर दी जाती. नोट बदलने के लिए फोटो पहचान पत्र की बाध्यता, केवल 2000 रुपये दिया जाना, अपने खाते में जमा किए जाने पर अनेक क़ानूनों की गैर क़ानूनी धमकियाँ. खाते में 250000/00 या उससे अधिक जमा करने पर आयकर विभाग द्वारा जाँच की धमकी दिए जाने का कोई अर्थ समझ नहीं आया. जो भी राशि खाते में जमा की जाती है उसका ब्यौरा तो आयकर रिटर्न में दिया जाना तो आवश्यक होता ही है. आयकर विभाग द्वारा स्क्रुटनी / जाँच के नाम में जो स्क्रुटनी की धमकी दी जा रही है उसकी आवश्यकता ही नहीं थी. घरों में छुपे धन को निकलवाने की नीति बनाते हुए शायद महिलाओं की बचत की तरफ शायद ध्यान ही नहीं दिया गया. देश की हर स्त्री को कुछ न कुछ छुपा के बचा लेने का नैसर्गिक अधिकार है जो आपातकालीन स्थिति में हर घर में उपयोग होते हैं. देश में दैनिक वेतन भोगी और रोज कुआँ खोद कर पानी पीने वाले जैसे रिक्शे, टाँगे वाले, नाई आदि की ज़रूरतें और बैंक की लाइन में लगा कर नई मुद्रा प्राप्त करने में होने वाली कठिनाई को शायद नहीं विचारा गया. एन सी आर से बाहर इस प्रकार से आजीविका कमाने वालों के लिए यह नई मुद्रा बैंक से लेने का काम और भी मुश्किल है.

समस्त देशवासियों को स्वास्थ सेवाएँ उपलब्ध करवाने के लिए समुचित सरकारी अस्पतालों की सुविधाएँ उपलब्ध नहीं हैं. अनेक नागरिकों को प्राइवेट अस्पतालों की शरण लेनी पड़ती है. प्राइवेट अस्पतालों में निरंतर भुगतान की आवश्यकता किसी से छुपी नहीं है. आज 500 रुपये का नोट या 1000 हज़ार के नोट किसी भी कामगार की पहुँच से बाहर नहीं है. हर स्तर के लोग अपनी बचत में कम से कम 500 के नोट जमा करना चाहते हैं. पिछले दो दिनों में सरकार को यह अनुभव तो हो ही गया है कि वर्तमान में उपलब्ध सुविधाएँ पूरे देश में मुद्रा परिवर्तन के लिए समुचित नहीं हैं. आज प्रतिदिन निकाले जाने वाली राशि 4500/00 कर दी गई है और ए टी एम से निकाले जाने वाली राशि बढ़ा कर 2500/00 कर दी गई है. इस चोचलेबाजी की आवश्यकता क्या है. एक साप्ताह में 24000/00 रु. निकाले जा सकते हैं. नौकरी या दहाडी पर काम करने वाले कैसे कर सकेंगे. उत्तर प्रदेश या अन्य कई प्रदेशों में मुख्य सड़क से कुछ किलोमीटर अंदर गाँव स्थित हैं. कुछ छोटे छोटे गाँवों में एक बैंक स्थित है. उन लोगों की आर्थिक स्थिति और नोट बदलने की मुश्किलों पर कुछ सोचा ही नहीं गया.
हर बहस घूम फिर कर देश से क़ाला धन ख़त्म करने की बहस शुरू हो जाती है और देश भक्ति पर प्रश्न उठाने लगते हैं. नयी मुद्रा की कमी को देखते हुए पुरानी मुद्रा बदलने की, ए टी एम से निकालने की सीमा कम रखी गई है. लेकिन इतनी कम राशि से रोज का काम तो नहीं चलता. डाक घरों में मुद्रा बदलने के लिए कुल 50000-00 रु ही उपलब्ध होते हैं. जैसा नोएडा के सेक्टरों में स्थित डाक घरों में देखा गया, इसमें बाहर लगी लंबी लाइन के आधे लोगों की भरपाई भी नहीं हो पा रही है.

नयी मुद्रा की कमी को देखते हुए पुरानी मुद्रा बदलने की, ए टी एम से निकालने की सीमा कम रखी गई है. लेकिन इतनी कम राशि से रोज का काम तो नहीं चलता. अनेक अनेक लोगों के अनेक काम के घंटे खराब हो रहे हैं.
वित्त मंत्री कह रहे हैं कि ए टी एम को नये नोटों के लिए तैयार करने में 2 से 3 सप्ताह लग सकते हैं. यह तैयारी योजना लाने से पहले की जानी चाहिए थी. बहुत गोपनीयता का संकल्प किया गया था तो कुछ दिन ए टी एम बंद किए जा सकते थे. विशेष तौर पर दूर गाँव देहात के लोगों की समस्या बहुत गंभीर बनी हुई है. अब वैन से नये नोट भेजने के प्रयत्न किए जा रहे हैं. अब पिछले तीन दिन तक दैनिक ज़रूरत की चीज़ें, जानवरों का चारा, दवाइयाँ, दूध आदि खरीदना, जब दिल्ली में मुश्किल है तो दूर दराज गाँवों और छोटे शहरों में हालत का अंदाज़ा भी नहीं लगाया जा सकता है. मोबाइल बैंकिंग की व्यवस्था करने की कोशिश की जा रही है. उन दूर स्थित गाँवों में या अन्या केंद्रों तक यह सुविधा कब तक पहुँच सकेगी कहा नहीं जा सकता. जिनके घरों में शादी है या बीमारी की स्थिति में भुगतान के शर्तों में छूट दी जानी आवश्यक थी. मंत्रीगण व उच्च पदस्थ नौकरशाह इस व्यावहारिक समस्या को समझ नहीं सके.
चुनौतियों से भरे देश की सरकार के सामने हर समय एक न एक बड़ी चुनौती खड़ी ही रहेगी. भुगतान में हो रहे बदलाव से यह लग रहा है कि शीघ्र समस्या सुलझ जाएगी. देश हित में किसी भी निर्णय में जनता खुले दिल से सरकार के साथ खड़ी होने को तैयार है. फिर भी मुद्रा बदलने की प्रक्रिया को अधिक सुविधाजनक बनाया जाना चाहिए था. सरकार की नियत पर संदेह नहीं किया जा सकता लेकिन योजना को राष्ट्र स्तर पर लागू करने में के क्रियाँवन में रह गई खामियाँ कुछ लोगों के लिए कष्टदायक हो गई हैं. देश से काले धन समाप्ति के किसी भी अभियान में जनता साथ रहना चाहती है.

एन सी आर खबर ब्यूरो

हम आपके भरोसे ही स्वतंत्र ओर निर्भीक ओर दबाबमुक्त पत्रकारिता करते है I इसको जारी रखने के लिए हमे आपका सहयोग ज़रूरी है I अपना सूक्ष्म सहयोग आप हमे 9654531723 पर PayTM/ GogglePay /PhonePe या फिर UPI : 9654531723@paytm के जरिये दे सकते है एनसीआर खबर.कॉम दिल्ली एनसीआर का प्रतिष्ठित और नं.1 हिंदी समाचार वेब साइट है। एनसीआर खबर.कॉम में हम आपकी राय और सुझावों की कद्र करते हैं। आप अपनी राय,सुझाव और ख़बरें हमें mynews.ncrkhabar@gmail.com पर भेज सकते हैं या 09654531723 पर संपर्क कर सकते हैं। आप हमें हमारे फेसबुक पेज पर भी फॉलो कर सकते हैं

Related Articles

Back to top button