
भारत की बैडमिंटन स्टार साइना नेहवाल ने श्ानिवार को इस बात पर नाराजगी जताई थी कि उनका नाम पद्मभूषण के लिए नामंकित नहीं किया गया। उन्होंने ट्विटर पर गुस्सा जाहिर करते हुए कहा था कि पिछले वर्ष भी उनका नाम इस अवॉर्ड के लिए नियमों का हवाला देकर रद्द कर दिया था।
उनकी तीखी प्रतिक्रिया के 2 दिन के अंदर ही खेल मंत्रालय ने अपनी गलती सुधारते हुए साइना का नाम पद्मभूषण के लिए गृह मंत्रालय को भेज दिया है।� खेल मंत्री सर्बानंद सोनवाल ने इस मामले में सोमवार को फैसला करने की बात कही थी।
लेकिन साइना को पद्मभूषण मिलने की सम्भावना नहीं के बराबर है, क्योंकि गृह मंत्रालय में नाम भेजने की अंतिम तारीख 15 सितम्बर 2014 तक ही थी।
नियमों के अनुसार 2 पद्म अवॉर्ड के लिए कम से कम 5 साल का अंतराल होना चाहिए। साइना को पद्मश्री वर्ष 2010 में दिया गया था। साइना ने कहा था कि 2 बार के ओलपिंक पदक विजेता रहे सुशील कुमार को अवॉर्ड 2011 में पद्मश्री दिया गया था और उन्हें 5 वर्ष से पहले ही अवॉर्ड के लिए नामंकित कर दिया गया है।
साथ ही उन्होंने यह भी कहा, “मुझे सुशील कुमार को अवॉर्ड के लिए चुने जाने पर कोई आपत्ति नहीं है। लेकिन वे भी सम्मान की हकदार हैं और उन्हें भी इस सम्मान को पाने का पूरा हक है।साइना नेहवाल को पद्मभूषण अवॉर्ड न दिए जाने को लेकर साइना नेहवाल के पिता डॉ. हरवीर सिंह नेहवाल भी विरोध में सामने आ गए थे। उन्होंने भी इस मामले में सुशील कुमार को लेकर मुद्दा बनाया था।
हिन्दुस्तान टाइम्स अखबार से बातचीत में डॉ. हरवीर ने कहा था कि नियमों के अनुसार साइना का नाम सम्मान के लिए भेजा जाना चाहिए था लेकिन उनका नाम न भेजा जाना दुर्भाग्यपूर्ण है। अगर साइना का नाम पद्म सम्मान के लिए नहीं भेजा है इसका एक ही मतलब निकलता है कि मंत्रालय साइना को इस सम्मान की हकदार नहीं समझती।
सूत्रों के अनुसार खेल मंत्रालय ने सुशील कुमार को अवॉर्ड के लिए नाम भेजे जाने पर कहा था कि वह इस सम्मान के पूरे हकदार हैं इसलिए उनका नाम भेजा गया है। डॉ. हरवीर ने आगे कहा था कि सुशील कुमार से मेरी कोई दुश्मनी नहीं हैं वह मेरे बेटे जैसा है। लेकिन मेरा सवाल यह है कि साइना को किन तथ्यों के आधार पर इस सम्मान के लिए हकदार नहीं समझा गया।पद्मभूषण के लिए नाम नहीं प्रस्तावित किए जाने पर साइना नेहवाल के पिता डॉ. हरवीर नेहवाल ने कहा था कि इन सब बातों से काफी दुख पहुंचता है। जिस लड़की ने अपने खेल से देश का नाम ऊंचा किया, देश को इतने मेडल दिलाए। आज उसे सम्मान के लिए लायक नहीं समझा गया।
उन्होंने कहा था, “साइना इस वक्त बेंगलूर में अकेली है और इस तरह की बकवास घटनाओं को सुनने के बाद वह काफी रोई भी है। किसी खिलाड़ी के साथ इस तरह का व्यवहार नहीं किया जाना चाहिए।”
दूसरी ओर, बीएआई ने शनिवार को ई-मेल के जरिए खेल मंत्रालय को बताया था कि उनकी ओर से पिछले साल ही पत्र भेज दिया गया था।