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बस एक दिन की राहत, दिल्ली में प्रदूषण फिर इमर्जेंसी बनकर लौटा

शनिवार शाम दिल्ली की हवा में पलूशन का स्तर एक बार फिर ‘इमर्जेंसी’ की श्रेणी में आ गया। एक दिन पहले मौसम खुलने और धूप खिलने के बाद दिल्ली-एनसीआर को दमघोंटू स्मॉग से निजात मिलने की उम्मीद जगी थी, लेकिन शनिवार को शाम तक यह उम्मीद टूट गई। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक स्मॉग की समस्या की वजह से गाजियाबाद में 65 फैक्ट्रियां बंद कराई गईं हैं। इनमें भूषण स्टील और डाबर की फैक्ट्री भी शामिल है।

मौसम में यह अचानक बदलाव कुछ ही घंटों के दौरान तब आया जब सरकार ने घोषणा की कि हवा में हानिकारक तत्वों पीएम 2.5 और पीएम 10 का स्तर गिरा है। ऐसे में अचानक फिर से बढ़े प्रदूषण ने लोगों को चौंका दिया है। हवा की गुणवत्ता पर नजर रखने वाली केंद्रीय एजेंसी SAFAR के प्रॉजेक्ट डायरेक्टर गुफरान बेग ने बताया कि वातावरण की प्रदूषित निचली परत के और नीचे आने की वजह से प्रदूषण बाहरी वातावरण में नहीं जा पाया।

हालांकि उन्होंने कहा कि स्मॉग की समस्या पिछले दिनों की तरह नहीं हो पाएगी क्योंकि ताजे प्रदूषण की कोई आमद नहीं हुई है। न तो पराली जलाने से प्रदूषण आया है और न ही धूलभरी आंधी से वातावरण प्रदूषित हुआ है। उनका कहना है कि वर्तमान परिस्थिति को देखें तो राहत मिलने में कम से कम और एक दिन की देरी हो सकती है।

सेंट्रल पलूशन कंट्रोल बोर्ड (CPCB) के एयर क्वॉलिटी मैनेजमेंट ने भी अचानक बदली परस्थितियों को दर्ज किया है। CPCB के एयर क्वॉलिटी इंडेक्स ने आज शाम पांच बजे तक पलूशन का स्तर 403 आंका। कल यानी शुक्रवार को यह स्तर 468 पर था। हवा में पीएम 2.5 और पीएम 10 का स्तर क्रमशः 490 और 290 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर रहा।

यह स्तर इमर्जेंसी लिमिट (500 और 300) से थोड़ा ही पीछे था। शाम 6 बजे के बाद हालात बदल गए। इस समय की रीडिंग्स के मुताबिक यह आकंड़ा 522 और 332 में बदल गया। यानी प्रदूषण ने इमर्जेंसी के स्तर को पार कर दिया। बताया जा रहा है कि न्यूनतम और अधिकतम तापमान में आई गिरावट की वजह से वातावरण की निचली सतह (जमीन से 1600 मीटर ऊपर) 5 बजे शाम तक 50 मीटर नीचे आ गई।

गुफरान बेग ने बताया कि निर्देशकों ने पलूशन की स्थिति में सुधार को दर्ज करना शुरू कर दिया था। प्रदूषण का स्तर ‘गंभीर’ से ‘बहुत खराब’ की स्थिति में आ गया था। गौरतलब है कि ‘बहुत खराब’ स्तर के पलूशन की स्थिति में लंबे समय तक रहने पर सांस की बीमारी होने का खतरा पैदा होता है। वहीं, ‘गंभीर’ स्तर का प्रदूषण स्वस्थ व्यक्ति को भी प्रभावित कर सकता है जबकि सांस या हृदय रोग से पीड़ित के लिए काफी खतरनाक हो सकता है।

एन सी आर खबर ब्यूरो

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