हर कोई अपने घर का सपना देखता है। ऐसे में आज की महंगाई के दौर में इस सपने को पूरा करने में होम लोन अहम भूमिका निभाता है।
होम लोन आपकी पूंजी जरूरतों को पूरा करता है। होम लोन स्वीकृत होने में आपकी आय, पिछला क्रेडिट रिकॉर्ड, बैंक रिकॉर्ड आदि काफी अहम होते हैं।
इसके अलावा आप किस तरह की प्रॉपर्टी में निवेश कर रहे हैं, उस पर कोई विवाद तो नहीं है, यह सब भी बहुत मायने रखते हैं।
होम लोन की सुविधा ने लोगों के मकान के सपने को काफी हद तक साकार बना दिया है। आज सरकारी बैंक, निजी बैंक सहित कई अन्य वित्तीय संस्थाएं होम लोन उपलब्ध करा रही हैं। हरेक की होम लोन योजनाएं अलग-अलग हैं।
जब अधिक विकल्प सामने रहते हैं, तो किसी एक विकल्प का चयन करना आसान नहीं होता है। होम लोन के मामले में कुछ ऐसी ही स्थिति ग्राहकों के सामने हैं।
ऐसे में एक सीधा सा फॉर्मूला यही है कि अपनी जरूरत, सुविधा, ब्याज दरें, जिम्मेदारियां आदि की गहरी पड़ताल करने के बाद अपने लिए सही होम लोन का निर्णय करना चाहिए।
कौन ले सकता है होम लोन
प्रत्येक वेतनभोगी, कारोबारी या पेशेवर, को-ऑपरेटिस सोसायटियां, कॉरपोरेट इकाइयां और व्यक्तियों का समूह होम लोन के लिए आवेदन कर सकता है। अमूमन, होम लोन की राशि प्रॉपर्टी की कीमत के 80 फीसदी से अधिक नहीं होती है।
क्या है होम लोन की खासियत
नए मकान के लिए होम लोन के प्रति खरीदार को तीन चीजें सबसे अधिक आकर्षित करती हैं।
पहली, अधिक पात्रता यानी प्रॉपर्टी की कीमत का एक बड़ा हिस्सा बतौर लोन मिलना, दूसरा लोन के भुगतान पर प्रतिस्पर्धी ब्याज दरें और तीसरा टैक्स में बचत।
आज हम यह देख रहे हैं कि अधिकांश लोग उन जगहों पर मकान ले रहे हैं, जहां वास्तव में उनका बजट इसकी मंजूरी नहीं देता, लेकिन होम लोन की सुविधा से यह संभव हो सका है।
होम लोन ने जहां लोगों के बड़े घर के सपने को पूरा किया है, वहीं रेजिडेंशियल रीयल एस्टेट मार्केट का पूरा स्वरूप ही बदल कर रख दिया है।
कैसे तय होती है लोन की राशि
बैंक या वित्तीय संस्थान ग्राहक के लिए होम लोन की वास्तविक राशि तय करने से पहले उसकी लोन चुकाने की क्षमता, उम्र, शैक्षणिक योग्यता, स्थायित्व एवं आमदनी की निरंतरता, आश्रितों की संख्या, संपत्तियां, जिम्मेदारियां आैर बचत की आदत आदि देखते हैं।
यदि खरीदार शादीशुदा और नौकरीपेशा है, तो वह होम लोन के लिए सह-आवेदक बन सकता है। इससे जहां उसके लिए लोन जल्द मिलने की संभावनाएं प्रबल हो जाती हैं, वहीं लोन की राशि भी बढ़ जाती है।
होम लोन की अवधि
होम लोन 1-20 साल की अवधि के लिए लिया जा सकता है। कुछ मामलों में यह 25 साल भी हो सकता है।
हालांकि, होम लोन की अवधि रिटायरमेंट की उम्र या 60 साल, जो भी पहले हो, के बाद नहीं बढ़ाई जा सकती है। स्व-रोजगार करने वालों के लिए यह सीमा 65 साल है।
मिलता है टैक्स का लाभ
होम लोन लेने वाले ग्राहकों को टैक्स बचत का भी लाभ मिलता है।
पूरी तरह बने और कब्जा प्राप्त मकान के होम लोन पर धारा 80सी के तहत करछूट का लाभ लिया जा सकता है। इसलिए टैक्स का लाभ लेने के लिए ऐसे अधिकांश व्यक्ति भी होम लोन लेते हैं, जिन्हें इसकी जरूरत नहीं होती है।
हालांकि, यह जान लें कि निर्माणाधीन या निवेश के लिहाज से एक्वायर की गई संपत्ति के होम लोन पर टैक्स लाभ नहीं लिया जा सकता है।
स्विच या रिसेट करने का भी विकल्प
यदि आपने होम लोन लिया है और आपके होम लोन की ब्याज दरें किसी दूसरे बैंक से अधिक हैं, तो आप अपना होम लोन दूसरे बैंक में स्विच या अपने बैंक से ही रिसेट करा सकते हैं।
सबसे पहले ग्राहक को यह देखना चाहिए कि उसके मौजूदा बैंक के होम लोन की ब्याज दर और जिस बैंक में वह अपना लोन स्विच करना चाहता है, उसकी ब्याज दर में कितना अंतर है।
यदि दोनों बैंकों की ब्याज दरों में कम से कम आधा फीसदी का अंतर हो, तो ग्राहक अपना होम लोन स्विच करने का फैसला कर सकता है।
क्योंकि, इससे जहां ब्याज दर में बचत होगी वहीं भविष्य में होने वाली ब्याज दरों में बढ़ोतरी से भी बचा जा सकता है। इसी तरह, होम लोन को रिसेट भी कराया जा सकता है।
वर्तमान में होम लोन की ईएमआई घटाने या कम करने के दो विकल्प हैं। पहला आप अपने मौजूदा बैंक से ही अपना होम लोन रिसेट करा लें और दूसरा की आप कम ब्याज दर वसूलने वाले बैंक में अपना लोन स्विच कर लें।
ग्राहक को इन दोनों ही विकल्पों का इस्तेमाल उन पर आने वाली लागत का आकलन करने के बाद करना चाहिए।
जब आप अपने बैंक में होम लोन रिसेट करने के लिए आवेदन करते हैं, तो लोन की प्रकृति के आधार पर बैंक सामान्यत: आपसे कनवर्जन शुल्क लेते हैं। यदि आप फिक्स्ड रेट लोन को फ्लोटिंग रेट लोन में रिसेट कराते हैं, तो बैंक होम लोन का 1.75-2.0 फीसदी कनवर्जन शुल्क चार्ज करते हैं। इसमें सर्विस चार्ज भी शामिल रहता है।
वहीं, यदि आप होम लोन दूसरे बैंक में स्विच कराते हैं और फ्लोटिंग दरों में लोन लिया है तो मौजूदा बैंक आपसे कोई प्री-पेमेंट चार्ज नहीं लेगा। लेकिन यदि फिक्स्ड दरों पर लोन लिया है तो बैंक प्री-क्लोजर शुल्क वसूल सकते हैं।
अधिकांश मामलों में बैंक शेष बकाया होम लोन का दो फीसदी चार्ज करते हैं। इसके अलावा, लोन का 0.5-1.0 फीसदी प्रोसेसिंग फीस देना पड़ेगा। बैंक अतिरिक्त सर्विस चार्ज भी ले सकते हैं।
जरूरी दस्तावेज न करें नजरअंदाज
आप यदि होम लोन लेना चाहते हैं, तो अपने जरूरी दस्तावेजों को हमेशा अपडेट रखें, जिससे जब कभी भी आप होम लोन के लिए आवेदन करें, तो कर्ज स्वीकृत होने में कोई परेशानी न हो।
बैंकर एसपी सिंह के अनुसार होम लोन लोन की मात्रा व्यक्ति की आय के आधार पर तय होती है। इसके तहत बैंक वेतनभोगी व्यक्ति और कारोबारी व्यक्ति के आधार पर वर्गीकरण करते हैं।
वेतनभोगी
वेतनभोगी व्यक्ति को अपने नियोक्ता से वेतनमान का प्रमाण पत्र, पद के साथ देना जरूरी है। इसके अलावा कम से कम तीन महीने का वेतन पत्र, छह महीने का बैंक स्टेटमेंट देना जरूरी है। साथ ही आपके पास कम से कम पिछले दो साल का आईटी रिटर्न होना भी जरूरी है।
कारोबारी या पेशेवर
इस वर्ग के तहत कारोबारी का बिजनेस पता, पिछले तीन साल का आईटी रिटर्न, छह महीने का बैंक स्टेटमेंट और अग्रिम कर भुगतान की चालान कॉपी बैंक को देना जरूरी होता है।
गारंटर को भी रखें तैयार
होम लोन में कई बार बैंक और हाउसिंग फाइनेंस कंपनियां गारंटर की भी मांग करती है। ऐसे में गारंटर का पहचान पत्र, निवास स्थान आदि का साक्ष्य होने के साथ-साथ, उसका भी बैंक अकाउंट स्टेटमेंट, वेतन भोगी है तो वेतन पत्र और यदि कारोबारी है तो आयकर रिटर्न होना जरूरी है।
प्रॉपर्टी के दस्तावेज पुख्ता रखें
कई बार आपके सभी दस्तावेज पूरा होने के बाद भी होम लोन स्वीकृत होने में दिक्कत आती है। इसकी एक प्रमुख वजह प्रॉपर्टी हो सकती है। यानी, जो प्रॉपर्टी आप खरीद रहे हैं, वह कागजी तौर पर सही है या नहीं इसका ध्यान देना भी बहुत ही जरूरी है।
इसके लिए सबसे जरूरी है कि बैंक द्वारा वह प्रोजेक्ट स्वीकृत है या नहीं इसका पता लगा लें। यदि वह स्वीकृत है, तो आपका काम आसान हो जाता है।
दूसरी प्रमुख बात यह है कि आप शहर के विकास प्राधिकरण, निगम आदि में जाकर प्रॉपर्टी की वैधता और उसके मालिकाना हक के बारे में पूरी जानकारी ले सकते हैं। इन सब स्तर पर सभी जरूरी जानकारी लेने के बाद ही उस प्रॉपर्टी पर निवेश के लिए आगे बढ़ें।