जब तक भारतीयों को लोकतंत्र की कीमत का अंदाज़ा नहीं होगा ,तब तक आडवाणी जी के विरोध को लोग मोदी की ताज़पोशी में अडंगा ही मानेंगे !! भारतीय जनता पार्टी एक कार्यकर्ता आधारित पार्टी है ,लोकतांत्रिक तरीके से चुनकर इस पार्टी में सभी उच्च पदों पर पहुंचते हैं !
जो लोग अमेरिका में ओबामा और हिलेरी क्लिंटन की प्रतिदंव्दिता को एक स्वस्थ लोकतंत्र की निशानी बताकर लाखों टन कागज बर्बाद कर चुके हैं आज वही लोग भाजपा की इस लोकतांत्रिक व्यवस्था को कोसने में लगे हैं !! एक लोकतांत्रिक पार्टी का क्या मतलब रह जाएगा अगर सब कुछ यहां “”कांग्रेस)(गांधी परिवार )या अन्य पारिवारिक दलों की तरह फैसला होने लगेगा !!
जब एक छोटै से घर के अंदर किसी बात पर सहमति नहीं बन पाती है तो फिर ये तो करोडों लोगों की पार्टी है!! आखिर लोकतंत्र में सबसे पहले सर्वसम्मति फिर बहुमत के आधार पर लिया फैसला ही सबसे उचित माना जाता है ,, इसलिए अब भाजपा की संसदीय दल की बैठक में या तो सर्व सम्मति या फिर बहुमत के आधार पर फैसला लिया जाएगा ,,
आखिर इसमें बुराई क्या है ?? मैं तो “लालकृ्ष्ण आडवाणी “”जी के इस लोकतांत्रिक कदम की प्रशंसा करता हुं कि आखिर भारतीय जनता पार्टी का उन्होने कांग्रेसीकरण होने से बचा लिया !
याद किजिए जब एक बार “”सोनिया गांधी””ने अचानक राजनिति में आकर शीर्ष पद पर बैठने की कोशिस की थी तो कई पुरानी कांग्रेसीयों ने उसका विरोध किया था लेकिन नतीज़ा??उन सभी को कांग्रेस छोड जाना पडा था !!बाद में कुछ वापस भी आए तो गांघी परिवार की गुलामी स्वीकरने के बाद,, अब उसी कांग्रेस के लोग इस मुद्दे पर चुटकी ले रहे है , शर्म आनी चाहिए उन कांग्रेसीयो को !इसलिए आने वाले वर्षों में आडवाणी जी के इस विरोध को भारतीय जनता पार्टी की आंतरिक राजनिति में मील का पत्थर वाला फैसला माना जाएगा
अगर मोदी जी को आज पी एम पद का उम्मीदवार बनाया भी जाता है तो आने वाले चुनावों में उनकी जबाबदेही और बढ जाएगी ! पी एम पद का उम्मीदवार होने का मतलब ये कतई नहीं माना जाना चाहिए कि वो प्रधान मंत्री ही बन गए ,उनको जीतोड मेहनत करनी पडेगी !! खुदा न खास्ता अगर सीटें कम आई तो सारा ठीकरा भी मोदी के ही सर फुटेगा !! इसलिए आडवाणीजी का विरोध एक स्वस्थ लोकतंत्र की निशानी है !!इसमें देश का ही हित छुपा हुआ है !!
(संजय प्रकाश)