आखिरकार बीजेपी और भारतीय राजनीती मैं अटल-आडवानी युग का अंत हुआ और हज़ारो लोगो के हीरो मोदी बने बीजेपी के पीएम कैंडिडेट बन गये हैं
इससे पहले नरेंद्र मोदी कुछ देर पहले बीजेपी मुख्यालय पहुंचे। अमित शाह भी उनके साथ हैं। बीजेपी मुख्यालय पहुंचने पर मोदी का भव्य स्वागत। हजारों की संख्या में कार्यकर्ता मौजूद।
अब तक क्या-क्या हुआ?
वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी के विरोध को दरकिनार कर भाजपा आगामी लोकसभा चुनाव के लिए प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार के तौर पर नरेंद्र मोदी के नाम का ऐलान करने को तैयार थे पर अचानक आडवाणी बैठक में नहीं गये और गाड़ी से वापस लौटे।
मोदी पर भाजपा में जारी घमासान के बावजूद पार्टी अध्यक्ष राजनाथ सिंह शुक्रवार को मोदी के नाम की घोषणा करने का मन बना चुके हैं।
आडवाणी और सुषमा स्वराज के विरोध को देखते हुए दिल्ली में बृहस्पतिवार देर रात संघ की बैठक हुई। इसमें राजनाथ को अपने मिशन पर आगे बढ़ने को कह दिया गया।
संघ से मिली हरी झंडी
संघ से दोबारा हरी झंडी मिलने के बाद राजनाथ अब मोदी के नाम का ऐलान करने को तैयार हैं। शुक्रवार शाम पांच बजे भाजपा संसदीय बोर्ड की बैठक बुलाई गई है।
बैठक में मोदी के नाम का ऐलान हो सकता है। संघ की हरी झंडी मिलने के बाद राजनाथ चाहते हैं कि संसदीय बोर्ड में मोदी के नाम को लेकर आम सहमति बन जाए।
आडवाणी खेमे के विरोध को देखते हुए इससे पहले माना जा रहा था कि राजनाथ संसदीय बोर्ड की बैठक बुलाए बिना भी मोदी के नाम का ऐलान कर सकते हैं।
राजनाथ पीछे हटने को तैयार नहीं
राजनाथ अब मोदी के नाम पर पीछे हटने को तैयार नहीं हैं। भाजपा ने अपने सभी प्रदेश अध्यक्षों को शुक्रवार दोपहर बाद प्रदेश कार्यालयों में मौजूद रहने को कहा है।
संकेत साफ है कि संघ के पुख्ता समर्थन के सहारे मोदी की प्रधानमंत्री की 2014 के आम चुनाव के लिए उम्मीदवारी का ऐलान करने को राजनाथ सिंह की तैयारी पूरी हो गई है।
आडवाणी मोदी के नाम के ऐलान के विरोध में हैं, लेकिन लगता है कि पार्टी ने सुषमा स्वराज को मना लिया है। शाम को सुषमा ने मुलाकात के दौरान राजनाथ से साफ कर दिया था कि इस फैसले के लिए संसंदीय बोर्ड की बैठक बुलानी चाहिए।
सूत्रों के अनुसार सुषमा ने पहले मोदी के नाम का ऐलान होने पर लोकसभा में विपक्ष के नेता पद से इस्तीफा देने की धमकी दी थी।
डॉ. मुरली मनोहर जोशी को मनाने के लिए राजनाथ पहले ही उनसे मुलाकात कर चुके हैं। माना जा रहा है कि डॉ. जोशी व सुषमा तो संसदीय बोर्ड के फैसले के खिलाफ नहीं जाएंगे, लेकिन आशंका आडवाणी को लेकर है।
पार्टी मान रही है कि वे कोई भी कड़ा कदम उठा सकते हैं। वे संसदीय बोर्ड की बैठक का बहिष्कार भी कर सकते है। ऐसे में मोदी के नाम को लेकर कार्यकर्ताओं का उत्साह कम होने के साथ ही पार्टी की फजीहत भी होगी।
आडवाणी को मनाने में जुटी भाजपा
पार्टी में आडवाणी को मनाने की कोशिश की जा रही है ताकि वह संसदीय बोर्ड की बैठक में शामिल हों। पहले माना जा रहा था कि राजनाथ संसदीय बोर्ड की बैठक बुलाए बिना भी मोदी के नाम का ऐलान कर सकते हैं।
भाजपा का संविधान उन्हें यह अधिकार देता है और उनके फैसले पर संसदीय बोर्ड बाद में मुहर लगा सकता है। लेकिन देर रात बोर्ड की बैठक बुलाने के बारे में फैसला लिया गया।