ब्रिटेन ने कहा है कि गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी से मेल-जोल का मतलब न तो उनका समर्थन करना है और न ही उनके राज्य में मानवाधिकार उल्लंघन पर उन्हें क्लीन चिट देना है।
ब्रिटेन के हाई कमिश्नर जेम्स बेवन ने कहा है कि गुजरात में 2002 के दंगों को दौरान तीन ब्रिटिश नागरिक मारे गए थे और हम इस मामले में अदालती कार्यवाही और न्याय की मांग कर रहे हैं।
मोदी के साथ बात करके ही हम अपनी मांग को ज्यादा अच्छी तरह रख सकते हैं। पिछले साल अक्टूबर महीने में मोदी से मुलाकात को उन्होंने राजनयिक स्तर की मुलाकात करार दिया।
उन्होंने कहा, इस तरह की मुलाकात का मतलब यह नहीं कि मोदी का समर्थन किया जा रहा है। गुजरात के मुख्यमंत्री से मेरी बातचीत हुई थी और मेरे हिसाब से देश के महत्वपूर्ण लोगों को जानना अच्छा होता है।
बेवन ने कहा, ‘मैं मोदी या उनके अतीत से आक्रांत नहीं हूं। मैं यहां अपना काम करने आया हूं। उनसे बातचीत करने के मतलब यह नहीं कि उनका समर्थन किया जा रहा है।’
जामिया मिलिया इसलामिया में एक वार्ता के बाद बेवन ने कहा कि लेबर फ्रेंड्स ऑफ इंडिया की ओर से भारत के भविष्य पर मोदी को बोलने के बुलाने का निमंत्रण निजी था। इसे ब्रिटेन के सांसदों ने दिया था।
ब्रिटेन के सांसद जिसे चाहें बुलाने के लिए स्वतंत्र हैं। उनसे पूछा गया कि आवेदन करने पर क्या मोदी को वीजा दिया जाएगा। इस पर उन्होंने कोई सीधा जवाब नहीं दिया। उन्होंने कहा कि यह काल्पनिक स्थिति है और इसका जवाब संभव नहीं है।
गौरतलब है कि 2002 के दंगों के बाद ब्रिटेन ने मोदी का बायकाट कर दिया था लेकिन 2012 में इसे खत्म कर दिया गया। इस साल यूरोपियन यूनियन ने भी बायकाट खत्म कर दिया था।