आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि हमारे राष्ट्रगान के रचयिता गुरू रवींद्रनाथ टैगोर अकेले ऐसे गीतकार हैं जिनके लिखे गीतों को दो देशों में राष्ट्रगान के तौर पर गाया जाता हैं।
भारत में यह “जन गण मन…” है और बांग्लादेश में “आमार शोनार बांग्ला”। ये दोनों ही राष्ट्रगान गुरुदेव के लिखे हुए हैं।
राष्ट्रगान देश के गौरव का प्रतीक होता है लेकिन कुछ लोग मानते हैं कि कि रवींद्रनाथ टैगोर ने यह गीत किंग जॉर्ज पंचम और इंग्लैंड की महारानी के 1919 में भारत दौरे के दौरान उनके सम्मान में लिखा था।
इसीलिए कहा जाता है कि राष्ट्रगान में केवल उन्हीं प्रांतों (पंजाब, सिंध, गुजरात और मराठा) का उल्लेख है जहां ब्रिटिश शासन था।
इस तथ्य का जिक्र दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रोफेसर डॉक्टर प्रदीप कुमार दत्ता ने अपनी किताब ‘India’s National Anthem – Are we still singing for the Empire?’ में विस्तार से किया गया है।
गुरुदेव ने पहले इसे एक बंगाली कविता के रूप में लिखा था। 27 दिसम्बर 1911 को कलकत्ता में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की एक सभा में इसे पहली बार गाया गया था।
आज हम राष्ट्रगान को जिस लय में गाते हैं, उसे आंध्र प्रदेश के एक छोटे-से जिले मदनपिल्लै में संगीतबद्ध किया गया था। गुरुदेव ने भी इसमें महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।