उत्तर प्रदेश के अयोध्या में हिंदू संगठनों की अति सक्रियता पर केंद्रीय गृह मंत्रालय से की गई जवाब तलबी के बाद सूबे की सरकार हरकत में आ गई है।
प्रमुख सचिव गृह और डीजीपी ने समूचे परिदृश्य पर डीएम-एसएसपी से रिपोर्ट मांगने के साथ ही आदेश दिया है कि परंपराओं से हटकर किसी भी आयोजन की इजाजत न दी जाए।
शासन ने इस तरह की कोशिश करने की फिराक में लगे संगठनों को भी ताकीद करने के आदेश जिला प्रशासन को दिए हैं।
शासन के इस आदेश के बाद प्रशासन ने विहिप के केंद्रीय मार्गदर्शक मंडल द्वारा तय की गई 84 कोसी परिक्रमा के खाके को खंगालना शुरू कर दिया है। इसमें पहला सवालिया निशान सावन में परिक्रमा निकालने पर ही लग रहा है।
84 कोसी, 14 कोसी व पंच कोसी परिक्रमा परंपरागत तौर पर चैत्र रामनवमी के बाद होती रहीं हैं। ऐसे में परिक्रमा की नई परम्परा की इजाजत पर सवाल खड़ा होना लाजिमी है।
ऐसा हुआ तो सरकार का विहिप-संघ समेत भाजपा से टकराव हो सकता है। दूसरा सवाल 25 अगस्त से 13 सितंबर की इस परिक्रमा में 20 दिन के भीतर 40 सभाओं की अनुमति को लेकर है।
इस मुद्दे पर फैजाबाद ही नहीं, बाराबंकी, अंबेडकरनगर, गोंडा, बहराइच, बस्ती जिले के संबंधित क्षेत्र से जुड़े एसडीएम अनुमति देने में आनाकानी कर सकते हैं। तीसरा मुद्दा परिक्रमा मार्ग में वाहन प्रयोग का है।
विहिप ने कह रखा है कि एक दिन में 15 किमी की यात्रा में शारीरिक रूप से चलने में असमर्थ संत वाहन में चलेंगे।
इससे पहले किसी भी परिक्रमा में वाहनों का इस्तेमाल नहीं होता था। सूत्र बताते हैं कि दिल्ली तक पहुंची खुफिया रिपोर्ट में यह कहा गया है कि विहिप व संघ वाहनों को रथ की शक्ल देकर कई पीठाधीश्वर, महंतों, संतों को जनसभाओं में उतार सकता है।
रिपोर्ट में 25 अगस्त से 13 सितंबर तक विहिप की रणनीति में शामिल तमाम संगठन प्रांतों के बड़े संतों को उतारने का ब्योरा भी है।
आईबी ने किया था आगाह
19 जुलाई को अयोध्या कारसेवकपुरम् में विहिप, आरएसएस, भाजपा समेत उससे जुड़े संगठनों की बैठक में बनाई गई परिक्रमा की रणनीति की जानकारी कें द्रीय गृह मंत्रालय को भेज आईबी ने आगाह किया था। साथ ही नई परंपराएं डालने समेत भड़काऊ परचे की भी जानकारी दी गई है।