पहाड़ों पर आई जलप्रलय में हजारों जानें जाने के बाद शासन अब कोख में पल रहे शिशुओं को बचाने में लग गया है। आपदा के कारण पहाड़ी क्षेत्रों के 59 गांवों के रास्ते बंद हो गए हैं।
सौ से अधिक गांव ऐसे हैं जहां आना-जाना मुश्किलों भरा है। ऐसे गांवों में 421 महिलाएं गर्भवती हैं। इनके सुरक्षित प्रसव को लेकर चिंता बढ़ गई है। शासन ने ऐसी महिलाओं को प्रसव के लिए एयर लिफ्ट कराने की व्यवस्था की है। इन्हें चॉपर से अस्पताल पहुंचाया जाएगा।
प्रशिक्षित दाइयों का सहयोग
अस्पताल नहीं पहुंच पाने के कारण उत्तरकाशी में एक गर्भवती की मौत के बाद शासन सतर्क हो गया है। गांवों में गर्भवती को चिह्नित कराने के बाद उनकी स्थिति की मानीटरिंग करने की जिम्मेदारी उस क्षेत्र की एएनएम और आशा को दी गई है। महानिदेशक चिकित्सा योगेशचंद्र शर्मा ने बताया कि आपदाग्रस्त क्षेत्रों के प्रत्येक जिले के मुख्य चिकित्साधिकारियों को गर्भवती की मानीटरिंग रिपोर्ट पहुंच रही है। ऐसी महिलाओं की देखरेख के लिए प्रशिक्षित दाइयों का सहयोग लिया जाएगा।
डा. शर्मा ने बताया कि इस संबंध में केंद्र को भी प्रस्ताव भेजा गया है कि गर्भवती महिलाओं को एयरलिफ्ट कराने के लिए हेलीकाप्टर की व्यवस्था की जाए। इसके अलावा राज्य सरकार ने भी हेलीकाप्टर की व्यवस्था की है। रुद्रप्रयाग जिले के आपदा प्रबंधन नोडल अधिकारी हरक सिंह रावत का कहना है कि सूचना मिलते ही गर्भवती महिला को एयरलिफ्ट कर लिया जाएगा। अधिकारियों और कर्मचारियों की टीमें मुस्तैद हैं। अवरुद्ध मार्ग वाले गांवों में हेलीकाप्टर से बराबर सामग्री भेजी जा रही है।
महिलाओं की मानीटरिंग
डा. शर्मा ने बताया कि एएनएम और आशा के माध्यम से गर्भवती महिलाओं को आयरन और फोलिक एसिड की गोलियां दी जा रही हैं। विभागीय सूत्रों ने बताया कि दो सौ महिलाओं को चार से 24 हफ्ते के बीच का गर्भ है। डेढ़ सौ महिलाओं को सात माह का गर्भ है। इसके अलावा महिलाएं 30 से 34 हफ्ते के गर्भ की स्थिति में हैं। इनकी मानीटरिंग की जा रही है, जिससे किसी प्रकार की दिक्कत न होने पाए।