मंगलवार को दिन चढ़ने के साथ यमुना का जलस्तर बढ़ता गया। प्रशासन का कहना है कि रात तक यमुना और विकराल रूप धारण करेगी।
बाढ़ की आशंका के चलते प्रशासन मंगलवार सुबह से ही अलर्ट हो गया। निचले इलाकों में बसे लोगों को सुरक्षित जगह ले जाने की मुहिम जारी है।
प्रशासन को लोगों को राहत शिविरों तक ले जाने के लिए खासी मशक्कत करनी पड़ी। दरअसल, लोग घर छोड़कर जाने को तैयार नहीं थे।
खादर में खेती कर रहे लोगों की मुश्किल यह है कि उनकी रोजी-रोटी पानी में डूबने को है और वह कुछ नहीं कर पा रहे। खादर में बसे ऐसे ही कुछ गांवों की लाइव रिपोर्ट।
जगह : उस्मानपुर खादर में बसा गांव
दोपहर 12:00 बजे।
खेतों में फसलें लहलहा रही हैं। सुबह से ही सिविल सुरक्षाकर्मी माइक से लोगों गांव खाली करने के लिए कह रहे हैं। कई परिवार खतरे को भांपकर सामान बांध थे रहे तो कुछ धीरे-धीरे अपने सामान लेकर राहत शिविरों की ओर जा रहे हैं। अभी भी कई परिवार हैं, जो शाम तक यहां इंतजार करने के मुड में हैं। गांव के सुमित का कहना है कि मेरे कई जानवर उसे लेकर कहां रहेंगे।
जगह : गढ़ीमांडू गांव
समय: दोपहर 1:00 बजे।
गांव के पीछे यमुना के किनारे पर लोगों की भीड़ लगी है। लोग उफनती यमुना को देखकर घर छोड़ने का मन बना रहे हैं। प्रशासन लगातार मुनादी करवा रहा है कि गांव में पानी भर जाएगा, मकान जल्द से जल्द खाली कर दें।
लोग प्रशासन की बात अनदेखी करते हैं, तभी बाइक सवार दो पुलिसकर्मी आते हैं। घर-घर जाकर कहते हैं जल्दी गांव खाली कर दो। यहां के निवासी रामनिवास ने बताया कि फसल तो बचा नहीं पाएंगे अब घर के जरूरी समान तो बचाने पड़ेंगे। धीरे-धीरे लोग सिर पर सामान लेकर राहत शिविरों की ओर बढ़ने लगे।
जगह : लोहे का पुल
समय : 2.00 बजे
लोहे के पुल का खादर का इलाका लगभग खाली हो चुका है। कई बार कहने के बाद पुलिस को यहां से लोगों को जबरन हटाना पड़ा। इसके बाद लोग जानवरों के साथ खादर से बाहर आ रहे हैं।
यहीं पर युवक और बच्चे खतरे से बेफिक्र यमुना के बीचोंबीच धमाचौकड़ी करते नजर आए। लोहे के पुल पर ट्रैफिक की आवाजाही बंद है।
जगह : मयूर विहार खादर
समय : 2:45 बजे।
यहां बाढ़ प्रभावित लोगों के लिए नोएडा लिंक रोड पर टेंट लगाया जा रहा है। एसडीएम, एसएचओ और सिविल डिफेंस की टीम के साथ गांव खाली कराने के लिए जुटे हैं।
गांव में लोगों को बताया जा रहा है कि रात में पानी बहुत बढ़ जाएगा, लिहाजा वे बाहर आ जाएं। लोग बाहर आने को तैयार हैं। साथ ही चिंतित हैं कि उनके फसलों का क्या होगा। यहां नर्सरी और मौसमी सब्जियों की पैदावार होती है।