राग बैरागी : टीपीएल है तो भूमाफियाओं की मौज है, थाना पुलिस ने जानबूझकर मूंदी आंखें

राजेश बैरागी । हालांकि यह कहानी ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के जन्म से पहले की है परंतु इस कहानी में निखार अब आया है। सीमा से अधिक भूमि खरीद कर सीलिंग एक्ट के दायरे में फंसी टीपीएल फेम टेक्नोलॉजी पार्क लिमिटेड कंपनी भूमाफियाओं के लिए वरदान साबित हो रही है।ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के अधिसूचित और अधिग्रहित तुस्याना गांव की शानदार लोकेशन पर भूमाफियाओं का अवैध कॉलोनी बसाने का धंधा जोरों पर है। कमिश्नरेट की रिजर्व पुलिस लाइन से पांच सौ मीटर दूरी पर यह धंधा ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण की अर्जित भूमि खसरा नं 980 व 981 से शुरू हुआ है। इसके एक ओर टीपीएल की कथित तौर पर विवादित भूमि है और दूसरी ओर सैकड़ों बीघा एलएमसी भूमि है। भूमाफियाओं की गिद्ध दृष्टि राज्य सरकार की इसी सैकड़ों बीघा भूमि पर है। प्राधिकरण तथा दादरी तहसील के अधिकारी व कर्मचारियों की मिलीभगत से हो रहे इस भूमि अपहरण कांड से स्थानीय थाना पुलिस ने जानबूझकर आंखें मूंद रखी हैं।


गौरतलब है कि तुस्याना गांव में टेक्नोलॉजी पार्क लिमिटेड नामक कंपनी द्वारा ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के जन्म से पहले सैकड़ों बीघा भूमि खरीदी थी। क्षेत्र में औद्योगिक गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार ने इस कंपनी को 1988 से 1990 तक सीलिंग एक्ट की सीमा से बाहर जाकर भी भूमि खरीदने की छूट दी थी। समय-सीमा समाप्त होने के बावजूद टीपीएल द्वारा भूमि खरीदना जारी रहा। समय-सीमा के बाद खरीदी गई भूमि को सीलिंग एक्ट के दायरे में लाकर जिला प्रशासन द्वारा राज्य में निहित करने की कार्रवाई की गई।इसी दौरान ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण का जन्म होने से कंपनी की भूमि अधिग्रहण के दायरे में भी आ गई, क्योंकि कंपनी द्वारा जिस उद्देश्य के लिए भूमि खरीदी गई थी,उस संबंध में कोई काम ही नहीं किया गया। कंपनी अपनी वैध अवैध भूमि को अधिग्रहण और राज्य सरकार में निहित होने से बचाने के लिए अदालत गई। आजकल कंपनी के कर्ताधर्ता भूमाफियाओं के साथ मिलकर यहां अवैध कॉलोनी बनाने के धंधे में उतर गये हैं।