1984 के दिल्ली कैंट सिख दंगा मामले मे कड़कड़डूमा कोर्ट ने अपने फैसले में सज्जन कुमार को बरी कर दिया है। इसके बाद दंगा पीड़ितों के परिवार कोर्ट के बाहर हंगामा करने लगे। इस दंगे में पांच लोगों की हत्या हुई थी।
कोर्ट का फैसला आने के बाद दंगा पीड़ित आक्रोशित हो गए हैं और वे कह रहे हैं कि उनके साथ नाइंसाफी हुई है।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, फैसले के दौरान एक शख्स ने जज की तरफ जूता उछाल दिया। कोर्ट से बरी सज्जन कुमार पर भी किसी ने हमला करने की कोशिश की लेकिन सुरक्षाकर्मियों ने उनको बचा लिया। उसके बाद सज्जन कुमार को पीछे के रास्ते से बाहर निकाला गया।
कोर्ट ने छह लोगों में से पांच को दोषी पाया है और सज्जन कुमार को बरी कर दिया है। कोर्ट ने पांच में से तीन को हत्या का दोषी और दो को दंगा फैलाने का दोषी पाया है।
यह मामला पालम के राजनगर क्षेत्र में पांच सिखों की हत्या से जुड़ा है। नानावती जांच आयोग की सिफारिश के बाद 2005 में सीबीआई ने दंगों की जांच शुरू की थी।
पीड़िता जगदीश कौर का कहना था कि एक नवंबर 1984 को पति केहर सिंह, बेटे और दो भाइयों की हत्या कर दी गई थी।
उन्होंने पुलिस से शिकायत की थी लेकिन हत्याओं की जांच नहीं हुई। जगदीश कौर ने कहा कि उन्होंने जो शिकायत पालम चौकी में तीन नवंबर 1984 को दी थी, वह आज तक किसी रिकॉर्ड में नहीं आई।
नानावती जांच आयोग के सामने जगदीश कौर ने कहा था कि दंगों के दौरान उन्होंने सज्जन कुमार को वहां देखा था।
सज्जन की याचिका पर फैसला टला
हाईकोर्ट ने 1984 दंगों से संबंधित सुल्तानपुरी मामले में पूर्व सांसद सज्जन कुमार सहित पांच अभियुक्तों की याचिका पर फैसला स्थगित कर दिया है।
इन लोगों ने स्वयं के खिलाफ निर्धारित अभियोग को चुनौती देने वाली याचिका कोर्ट में दायर की थी।
न्यायमूर्ति सुरेश कैथ ने फैसला सोमवार के लिए सुरक्षित रख लिया था। सोमवार को फैसले से पहले ही शिकायतकर्ता शीला कौर ने आवेदन दाखिल कर मामले में उनका पक्ष सुनने का आग्रह किया।
उन्होंने कहा कि अभियुक्तों के खिलाफ तय अभियोग को रद्द नहीं किया जाना चाहिए। इस पर अदालत ने अगली सुनवाई 15 मई तय कर दी।
निचली अदालत ने 1984 में हुए दंगों के इस मामले में पूर्व सांसद सज्जन कुमार, ब्रह्मानंद गुप्ता, पेरू, कुशाल सिंह और वेद प्रकाश पर जुलाई 2010 में अभियोग तय किए थे।