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सत्यम शिवम सुंदरम : गौतम बुध नगर में तीसरी बार जीतने से पहले डा महेश शर्मा के टिकट पर फंसा पेंच, सहयोगी, विरोधी, प्रशासनिक अधिकारी भी इस बार जिले से टिकट की चाह में, संगठन में जिलाध्यक्ष की कुर्सी से तय होगा हवा का रुख

राजनीति ऐसी चीज है जो कब दोस्तों को दुश्मन बना दे और दुश्मनों को दोस्त बना दे कुछ कहा नहीं जा सकता । गौतम बुध नगर में तीसरी बार सांसदी का सपना देख रहे डॉक्टर महेश शर्मा के साथ भी कमोबेश यही स्थिति है । 2024 के चुनाव में सिर्फ 8 महीने का समय शेष रह गया। लेकिन कभी डॉक्टर साहब के साथ रहे लोग ही अब उनके लिए ना सिर्फ अड़चन बनते जा रहे हैं बल्कि उनके साथ दिखाई देने से बच रहे है । डॉ महेश शर्मा को कई मोर्चों पर इन बातों का एहसास हो रहा है

सहयोगियों, विरोधियों के साथ प्रशासनिक अधिकारी की राजनैतिक चुनौती

जिले में एक दशक से अधिक सफल राजनैतिक पारी खेलने के बाद पहली बार भाजपा में डॉक्टर महेश शर्मा परेशान देखें जा रहे हैं । चुनौतियां सहयोगियो, विरोधियों की तो है ही अब प्रशासनिक अधिकारियों से भी मिलने लगी है ।

सर्वविदित है कि गौतम बुध नगर सीट पर कभी सुरेंद्र नागर और डॉक्टर महेश शर्मा एक दूसरे के सामने रहे है । नियति का चक्र देखिए आज दोनों एक ही राजनीतिक दल में है और एक लोकसभा सांसद हैं तो दूसरे राज्यसभा सांसद हैं, किन्तु बदले घटनाक्रम में सुरेंद्र नागर का कद डॉ महेश शर्मा के मुकाबले 19 नहीं है। वो इस समय मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की गुड बुक में है ।

वहीं दूसरी ओर सांसद के चुनाव के लिए अपनी इच्छा प्रकट कर चुके जेवर विधायक धीरेंद्र सिंह की महत्वाकांक्षा भी किसी से छुपी नहीं है वह भाजपा से विधायक बनने के बाद से ही लगातार जिले में सांसद टिकट के लिए न सिर्फ तैयारी कर रहे हैं बल्कि आक्रामक तौर पर अपने सोशल मीडिया प्रचार तंत्र के साथ मिलकर लगातार अपनी उपस्थिति भी दर्ज करा रहे है ।

उनकी इसी आक्रामक उपस्थिति का परिणाम रहा कि उनके 2022 के चुनाव में ऐसे भी समाचार आए जहां यह बताया गया कि स्वयं डॉक्टर महेश शर्मा उनको जेवर में हरवाने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगा दिए l यहां तक कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के कार्यक्रम में भी बहाने से डॉक्टर महेश शर्मा नहीं पहुंचे जिसकी शिकायत धीरेंद्र सिंह ने अपने आवास पर मुख्यमंत्री के हुई एक ऑनलाइन रैली के बाद की। इस घटना के बाद डॉ महेश शर्मा और धीरेंद्र सिंह के बीच रिश्तो में दूरी और बढ़ गई ।

कहा जाता है धीरेंद्र सिंह ने २०२४ के लिए जिले के सभी प्रेस क्लब तक अपनी पकड़ मजबूत की हुई है और एक अध्यक्ष को अपना राजनैतिक सलाहकार बनाया हुआ है । जिसके बाद शहर में मीडिया तीन भागों में बंट गया है । एक धीरेंद्र सिंह समर्थक दूसरा डॉ महेश शर्मा समर्थक और तीसरा वह निर्गुट समूह है जो इन दोनों नेताओं और प्रेस क्लब से समान दूरी बना कर रखे हुए हैं । हालत ये है कि इनकी राजनीति के चलते मीडिया में भी दो समर्थक विरोधी गुटों में लगातार एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप इन दिनों खूब चर्चा में है ।

जिले में डॉ महेश शर्मा और धीरेंद्र सिंह के बीच भाजपा में वर्चस्व को लेकर चल रही उठापटक का अंत वही नहीं हुआ । उसके बाद बीते दिनों हुए नगर निकाय चुनाव में जहां पहले चरण में डॉक्टर महेश शर्मा ने जिले की सभी सीटों पर अपने पसंदीदा प्रत्याशी उतारने में सफलता पाई तो जीत दिलाने के मामले में वह सिर्फ दादरी में ही कामयाब हो सके । जिसके बाद नोएडा में हुई एक बैठक में राधा मोहन सिंह ने कटाक्ष करते हुए कहा भी था। जिन लोगों के लिए आप जहर खाने जैसी बातें कर रहे थे वह तीसरे नंबर पर आए राजनीतिक चर्चाओं में यह कहा गया डॉ महेश शर्मा के प्रत्याशियों को हराने के लिए उनके दोनों विपक्षी नेताओं ने एड़ी चोटी का जोर लगा दिया और इसको तब और बल मिला जब निर्दलीय जीते हुए अध्यक्षों के सम्मान समारोह में उपरोक्त दोनों ही नेता दिखाई दिए।

डॉ महेश शर्मा की समस्या यहीं खत्म नहीं होती है उनके एक अन्य सहयोगी संघ के वरिष्ठ कार्यकर्ता और भाजपा में राष्ट्रीय प्रवक्ता गोपाल कृष्ण अग्रवाल लगातार अपनी सक्रियता बीते साल भर से बढ़ा रहे हैं । माना जा रहा है कि इस बार टिकट की दावेदारी में हो भाजपा से आर पार की लड़ाई लड़ने के मूड में है कहा जाता है कि 2018 में भी उन्होंने गौतम बुध नगर सीट से भाजपा का लोकसभा का टिकट मांगा था सब कुछ सही भी जा रहा था लेकिन आखिरी मौके पर मजबूरियां ऐसी रही है भाजपा ने एक बार फिर से डॉक्टर महेश शर्मा को टिकट दिया और गोपाल कृष्ण मन मसोस कर रह गए थे ऐसे में इस बार वो किसी भी प्रकार से अपने टिकट की जोड़ तोड़ में लग गए है ।

कहा जाता है 2019 में एनसीआर के डा महेश शर्मा समेत दो सांसदों केंद्रीय मंत्रियों का टिकट कटना लगभग तय हो चुका था। किंतु भाजपा कार्यकारिणी के समक्ष एक पेंच फस गया अगर अपने केंद्रीय मंत्री का टिकट भाजपा काट देती तो विपक्ष को भाजपा पर हमलावर होने का बड़ा मौका मिल जाता जिसके चलते दोनों केंद्रीय मंत्रियों को पुन: टिकट दिया गया लेकिन जीतने के बाद यह सुनिश्चित किया गया कि उन्हें इस बार कोई मंत्रालय नहीं दिया जाए ।

जिले में पहले आए दो कद्दावर प्रशासनिक अधिकारियों का भी सपना है सांसद का टिकट

डॉ महेश शर्मा की समस्याओं का अंत राजनेताओं सहयोगी यों और विरोधियों के साथ ही नहीं हो रहा है बल्कि जिले में पहले आए दो कद्दावर प्रशासनिक अधिकारियों के नाम भी लगातार भाजपा से टिकट की दावेदारी में चल रहे हैं साल भर पहले तक श्रीकांत त्यागी प्रकरण में डॉ महेश शर्मा के निशाने पर आए पूर्व कमिश्नर आलोक सिंह के बारे में भी कहा जा रहा है चुनाव से ठीक पहले वह वीआरएस लेकर गौतम बुध नगर सीट से अपनी दावेदारी कर सकते हैं । आलोक सिंह के कार्यकाल के बीच के समय डॉक्टर महेश शर्मा और आलोक सिंह के बीच की रस्साकशी किसी से छुपी नहीं थी आलोक सिंह पर कई बार एक अन्य राजनेता के साथ मिलकर डॉ महेश शर्मा के लिए मुश्किलें खड़ी करने का आरोप भी डॉ महेश शर्मा के समर्थकों ने लगाया था ।

लोनी विधायक नंदकिशोर गुर्जर ने तो श्रीकांत त्यागी प्रकरण में एक बड़े राजनेता और एक प्रशासनिक अधिकारी का नाम लेकर श्रीकांत त्यागी प्रकरण में त्यागी महा पंचायत के सारे अरेंजमेंट करने तक के आरोप लगा दिए थे ।

जिले में ही पूर्व जिला अधिकारी रह चुके बीएन सिंह की लगातार उपस्थिति डॉ महेश शर्मा के लिए सबसे बड़ी चुनौती बनती जा रही है बीते कुछ माह से बीएन सिंह लगातार गौतम बुध नगर के शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में सभी लोगों के साथ मिल रहे हैं । उनकी समस्याओं को सुन रहे हैं राजनीतिक चर्चाओं में कहा जा रहा है कि बीएन सिंह को भाजपा के एक बड़े नेता ने आश्वासन दिया है कि उनको यहां पर टिकट दिया जा सकता है । इसलिए क्षेत्र में जाकर लोगों से मिलकर अपनी पहचान को मजबूत करें ।

बीएन सिंह के पीछे एक बहुत बड़े टेक्नो ग्रुप का भी हाथ बताया जा रहा है जिसके विश्वविद्यालय में हाल में ही एक लड़की की हत्या का प्रकरण काफी चर्चित हुआ है । कहा जाता है जिलाधिकारी रहते हुए बी एन सिंह ने इस कंपनी के काफी सीएसआर कार्यक्रमो को प्रमोट किया था ।

कोविड में अस्पतालों में आक्सीजन की कमी प्रकरण से नाराज है मुख्यमंत्री

कोविड के समय दिल्ली एनसीआर के अस्पतालों में ऑक्सीजन की कमी का जो खेल खेला गया था । उसमें डॉक्टर महेश शर्मा के अस्पताल का नाम नोएडा में नाम सबसे पहले आया था। कहा जाता है कि उस दौरान पड़े डीएम के छापों में उनके अस्पताल में भी कुछ बेड बिना मरीजों के भरे हुए दिखाई जा रहे थे । बाद में उनके अस्पताल में ही जिले के अंदर सबसे पहले ऑक्सीजन खत्म होने का बयान मीडिया में दिया जिसके बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ काफी नाराज हुए थे । उसी प्रकल्प में गौतम बुध नगर में हुई जनप्रतिनिधि की बैठक में डा शर्मा ने जब अस्पतालों पर कड़ी कार्यवाही ना करने का अनुरोध किया था तब उन्होंने कहा था कि हमें मत समझाइए हमें पता है किसने क्या किया है । जिसके बाद लखनऊ से यह माना जाता रहा है कि मुख्यमंत्री कैंप डॉक्टर शर्मा से नाराज है इसीलिए डा शर्मा ने अपना ब्राह्मण कार्ड चलते हुए उप मुख्यमंत्री के साथ अपने समीकरण सही किए । साथ ही अमित शाह तक अपनी पहुंच भी सही की । श्रीकांत त्यागी प्रकरण के समय “अपनी सरकार पर शर्म आती है ” बयान के समय भी उन्होंने अमित शाह से शिकायत करने की बात मीडिया के सामने कही थी ।

विरोधियों से अलग संगठन में भी डा महेश शर्मा की पकड़ हो रही है ढीली

पार्टी में सहयोगियों विरोधियों और पूर्व प्रशासनिक अधिकारियों की राजनीतिक चुनौती से अलग संगठन में भी फिलहाल डॉ महेश शर्मा की पकड़ ढीली लग रही है। मोदी सरकार के 9 वर्ष पूरा होने पर 30 मई से 30 जून तक भाजपा प्रचार के कार्यक्रम चला रही है ऐसे में बीते दिनों तेजस्वी सूर्या के कार्यक्रम में लोकसभा को लेकर बैठक थी । जिसके चलते सभी लोगों को डॉ महेश शर्मा के सांसद रहने के दौरान के कार्यों को बताना था इस कार्यक्रम में पहले तो जिले के दो विधायक तेजपाल नागर और धीरेंद्र सिंह उपस्थित नहीं रहे । उसके बाद स्टेडियम में किए गए कार्यक्रम में लोगों की उपस्थिति देखकर संगठन में डॉक्टर महेश शर्मा के साथ समीकरणों पर भी चर्चाएं शुरू हो गई कार्यक्रम के बाद कहा जा रहा है कि डॉ महेश शर्मा स्वयं सकते में हैं क्योंकि महज 5 से 6000 की कैपेसिटी वाले इस स्टेडियम को पूरा ना भर पाना भाजपा युवा मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष तेजस्वी सूर्य के समक्ष डॉ महेश शर्मा की किरकिरी करा गया है ।

बताया जा रहा है कि जिले में कुल मिलाकर 25 से जायदा मंडल हैं ऐसे में अगर हर मंडल से 200 लोग भी आए होते तो यहां 5000 की संख्या दिखाई देती, किंतु संगठन में जिला अध्यक्ष को लेकर होने वाले बदलाव और उसी के वजह से आगे जाकर काम करने के समीकरणों को लेकर इन दिनों काफी उठापटक है। ऐसे में कई बड़े नेता इस कार्यक्रम से गायब रहे । नोएडा से संजय बाली और जेवर से सतपाल तालान ही अपनी टीम के साथ प्रमुख रूप से दिखाई दे रहे थे ।

हद तो तब हो गई जब ग्रेटर नोएडा वेस्ट से सांसद प्रतिनिधि, युवा मंडल अध्यक्ष, महिला अध्यक्ष और अध्यक्ष पद के सारे दावेदार भी इस कार्यक्रम से दूरी बनाए रहे । वही पूर्वांचल मोर्चा के अध्यक्ष 2 बसों का दावा कर एक बस भी नही भर पाए ।

यही नहीं दादरी नगर पालिका चुनाव में जग भूषण गर्ग के साथ हुए अन्याय और उसमें डॉ महेश शर्मा को ही जिम्मेदार मानने वाले वैश्य व्यापारी समाज में भी नाराजगी दिखाई दे रही है l 2 दिन पहले हुए व्यापारी सम्मेलन में 100 की भी संख्या ना पहुंच पाने से संगठन में तमाम चर्चाएं हो रही है और यह बताया जा रहा है कि नोएडा ग्रेटर नोएडा और दादरी के व्यापारी इस सभा में नहीं पहुंचे थे ।

कार्यक्रम के बाद से लगातार राजनीतिक विश्लेषक दावा कर रहे हैं कि सभी छूटभैया नेता फिलहाल तेल देखो तेल की धार देखो के आधार पर कार्य कर रहे हैं । नए जिला अध्यक्ष और मंडल अध्यक्षों के चयन के बाद ही भाजपा संगठन में रहना है या नहीं रहना है इसकी बातें तय होंगी ।

बताया जा रहा है कि इन सभी बातों को लेकर डॉक्टर में शर्मा के हैं फिलहाल बहुत चिंतित है अभी ऊपर से सब कुछ सही दिखाने की कोशिशें हो रही हैं किंतु अंदर सब कुछ सही नही है । सब एक दूसरे के साथ “आल इस वेल” का खेल खेलने में लग गए है

आशु भटनागर

आशु भटनागर बीते दशक भर से राजनतिक विश्लेषक के तोर पर सक्रिय हैं साथ ही दिल्ली एनसीआर की स्थानीय राजनीति को कवर करते रहे है I वर्तमान मे एनसीआर खबर के संपादक है I उनको आप एनसीआर खबर के prime time पर भी चर्चा मे सुन सकते है I Twitter : https://twitter.com/ashubhatnaagar हम आपके भरोसे ही स्वतंत्र ओर निर्भीक ओर दबाबमुक्त पत्रकारिता करते है I इसको जारी रखने के लिए हमे आपका सहयोग ज़रूरी है I एनसीआर खबर पर समाचार और विज्ञापन के लिए हमे संपर्क करे । हमारे लेख/समाचार ऐसे ही सीधे आपके व्हाट्सएप पर प्राप्त करने के लिए वार्षिक मूल्य(501) हमे 9654531723 पर PayTM/ GogglePay /PhonePe या फिर UPI : ashu.319@oksbi के जरिये देकर उसकी डिटेल हमे व्हाट्सएप अवश्य करे

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