शुक्रवार की तपती धूप में गौतम बुध नगर के शिव नादर विश्वविद्यालय द्वारा मीडिया को एक बार फिर से प्रवेश ना देने के बाद वापस लौटते हुए मैं तिलपता स्थित भाजपा के कार्यालय में प्रवेश करता हूं । मामला निकाय चुनाव के बाद 2024 को लेकर चल रही भाजपा की तैयारियों पर जानकारी लेने का था कार्यालय के अंदर जिला अध्यक्ष विजय भाटी जिला कार्यकारिणी के सदस्यों के साथ कुछ मीटिंग कर रहे हैं मीटिंग कार्यालय में 2 दिन बाद होने वाली क्षेत्रीय अध्यक्ष के साथ बैठक को लेकर है । सतेन्द्र नागर लोगो को निमंत्रण के लिए फोन कर रहे हैं । सुनील भाटी और बबली नागर भी बैठे हुए है । जिला अध्यक्ष विजय भाटी अभिवादन स्वीकारने के बाद बैठने को कहते हैं और पानी मंगवाते है ।
टेबल पर कुछ फल रखे हुए हैं उसके बाद वो फलों को ऑफर करते हुए कहते हैं कि आज मैं आपको फल ही खिला पाऊंगा क्योंकि आज मेरा संतोषी माता का व्रत है और आज के दिन किसी को खट्टा नहीं खिला सकते । आश्चर्यचकित होकर मैंने पूछा आज के दौर में भी आप व्रत रख रहे है । महिलाओं में तो फिर भी व्रत की परंपरा अभी है लेकिन पुरुषो में ये बड़ी बात है । और राजनेताओ में तो यह और भी दुर्लभ है l एक राजनेता पूरे दिन में कई जगह जाता है ऐसे में अपने व्यस्त दिनचर्या के बावजूद व्रत को निभाना और लगातार करना यह आपकी संतोषी माता में अखंड आस्था का ही परिणाम है जो आप कर रहे हैं। विनम्र स्वभाव के विजय भाटी इस बात पर हंसते हुए टाल देते हैं और कहते हैं सब माता संतोषी का प्रताप उनकी सफलता के पीछे उनकी मेहनत और मां संतोषी का आशीर्वाद है ।
आश्चर्य चकित होते हुए भी मुझे उनसे असहमत होने की कोई बात नजर नहीं आ रही थी क्योंकि उनके बीते 20 साल के राजनीतिक जीवन में बटोरी गई उपलब्धियों की कहानी शायद यही कह रही है क्योंकि विजय गौतम बुद्ध नगर भाजपा के उन प्रमुख लोगों में से हैं जो तब से भाजपा का झंडा उठाए घूम रहे हैं जब यहां पर लोग भाजपा में आने से कतराते थे खासतौर पर उस गुर्जर समुदाय से जहां पहली पसंद कांग्रेस और समाजवादी पार्टी थी। ऐसे में लगातार भाजपा का दो बार मंडल अध्यक्ष और दो बार लगातार जिला अध्यक्ष बन कर अपने कार्यकाल में हुए सभी चुनाव जिताना छोटी उपलब्धि नहीं कही जा सकती है । और इसे माता संतोषी के प्रति उनकी भक्ति और समर्पण का परिणाम कहना गलत नहीं होगा ।
कम नही है माता संतोषी के भक्तो के बीच चमत्कार के किस्से
यू तो भारत में हर भगवान के भक्तों को उनमें पूर्ण विश्वास रहता है । ऐसे ही शिव परिवार से आने वाली माता संतोषी के भक्तों की कहानियां और उनसे चमत्कारों की भी कई कहानियां हैं । माता संतोषी को संतोष की देवी कहा जाता है अर्थात मन की इच्छाओं पर नियंत्रण करने वाला संतोषी व्यक्ति ही माता का परम भक्त होता है और उसे जीवन की कठिनाई और अत्यधिक धन का लालच दोनो ही विचलित नहीं करता है । इसके साथ ही माता अपने भक्तो की रक्षा और उनकी सभी इच्छाएं भी पूरी करती है l
1975 में आई एक छोटी सी फिल्म जय संतोषी मां ने शोले जैसी मल्टी स्टारर के सामने इतिहास रच दिया और उस दौर की ब्लॉकबस्टर साबित हुई । कहा जाता उस दौर में सिनेमा हॉल माता संतोषी के मंदिर बन गए और वहां बाकायदा फिल्म के बाद माता संतोषी की आरती होती थी और प्रसाद बैठने लगा लोग बैल गाड़ियों से भर भर के सिनेमा हॉल जाते थे और नंगे पांव बैठकर इस फिल्म को देखते थे। जय संतोषी मां बनने की कहानी भी ऐसी ही रोचक है कहा जाता है गुजरात के एक छोटे से गांव में उन दिनों माता संतोषी की कहानी कही जाती थी जिसको प्रोड्यूसर सतराम रोहरा के पास डायरेक्टर विजय शर्मा ने सुनाई । विजय शर्मा के प्रस्ताव पर सतपाल ने फिल्म बनाने का फैसला किया । बजट कम था पर इसके कलाकारों का चयन भी आस्था के आधार पर होता हुआ । कई कलाकार मां संतोषी के चमत्कार अपने जीवन में देख चुके थे ऐसे में वो भी इसका हिस्सा बन गए । और जब फिल्म रिलीज हुई तो इसने इतिहास रच दिया ।
फिल्म शुरू होती है रक्षाबंधन के त्योहार से जहां भगवान गणेश के दोनों बेटे एक बहन की जिद करते हैं। भगवान गणेश और उनकी पत्नियों ऋद्धि व सिद्धि की इस संतान का नाम नारद संतोषी रखते है ।
फिल्म के गीतकार कवि प्रदीप ने इसके गीत लिखे थे और इसका किस्सा सुनाते हुए मने एक बार बताया था कि उन दिनों फिल्म के गीतकार और संगीतकारों को रिकॉर्ड्स बिकने के बाद उससे हुई आय की रॉयल्टी मिला करती थी आज की तरह उनको फ्री मैं उसके रिकॉर्ड भी नहीं दी जाते थे इस फिल्म के साथ भी ऐसा ही था उन्होंने इसके गीत लिखे और फिल्म की रिलीज के बाद उसके एल पी रिकॉर्ड को सुनने के लिए खुद ₹75 में खरीद कर घर लाना पड़ा शुरू में इसके रिकॉर्ड इसलिए नहीं मिल रहे थे कि लोग इसके बारे में जानते नहीं थे और बाद में इसके रिकॉर्ड इसलिए नहीं मिल रहे थे कि मार्केट में डिमांड के अनुपात में आपूर्ति नहीं हो पा रही थी ।
विविध भारती पर दिए अपने इंटरव्यू में सी. अर्जुन ने कहा था- इस फिल्म से पहले इंडस्ट्री के लोग मुझे जानते-पहचानते थे, लेकिन ‘जय संतोषी मां’ के गीतों ने मुझे आम जनमानस में पहचान दे दी ।
संतोषी माता व्रत की पूजा विधि
शुक्रवार के दिन सूर्योदय से पहले उठकर सभी कामों से निवृत्त होकर स्नान करके साफ सुथरे वस्त्र धारण कर लें। अब मां संतोषी का ध्यान करते हुए व्रत का संकल्प लें लें। इसके बाद एक साफ सूथरी जगह या फिर पूजा कर में एक चौकी में लाल रंग का कपड़ा बिछाकर मां संतोषी की मूर्ति या तस्वीर स्थापित कर दें। कलश स्थापना करें। इसके बाद विधिवत तरीके से माता संतोषी की पूजा करें। माता संतोषी को फूल, माला, सिंदूर, अक्षत आदि चढ़ाएं। भोग में मां को भिगोए हुए चने का दाल और गुड़, केला चढ़ाएं। माता संतोषी को ध्यान करके घी का दीपक जलाने के साथ धूप जलाएं और विधिवत आरती कर लें। माता संतोषी की व्रत कथा, चालीसा, मंत्र आदि का पाठ करके विधिवत आरती कर लें। अब में प्रसाद सभी को बांट दें और कलश के पानी को पूरे घर में छिड़क दें।