राजेश बैरागी l क्या गौतमबुद्धनगर जिले में भाजपा के राज्यसभा सांसद सुरेंद्र नागर के विरुद्ध भाजपा में ही मोर्चा खुल गया है? और क्या इस नयी मोर्चाबंदी में पुलिस कमिश्नर के बदले जाने का भी कोई असर है?
दूसरी बार भाजपा के टिकट पर राज्यसभा पहुंचे सुरेंद्र नागर को पार्टी नेतृत्व के निकट माना जाता है। भाजपा में शामिल होने से लेकर कई मौकों पर पार्टी नेतृत्व ने उनकी सेवाएं ली हैं। उनके पहली बार राज्यसभा पहुंचने पर जिले के कई पार्टी नेताओं ने अपनी निष्ठा बदलते हुए उनके साथ अपनी निकटता प्रदर्शित की थी। परंतु समय के साथ उन नेताओं की सुरेंद्र नागर के साथ निकटता ढीली पड़ गई। इसका कारण यह बताया गया कि सुरेंद्र नागर ने जिले में अपनी स्वयं की टीम और साम्राज्य तैयार किया जिसमें उन नेताओं का कोई स्थान नहीं था। कई प्रकार के बड़े धंधेबाजों को संरक्षण देने से भी उन पार्टी नेताओं के हितों पर असर पड़ा और एक प्रकार से वे खेल से बाहर हो गए।
इसी बीच दादरी में मिहिरभोज की प्रतिमा को लेकर हुए विवाद में भी सुरेंद्र नागर ने अन्य पार्टी नेताओं से अलग स्टैंड लेकर उनके लिए संकट खड़ा कर दिया।उनका और लोकसभा सांसद डॉ महेश शर्मा का आपस में 36 का आंकड़ा जगजाहिर है ही। दोनों नेता जिले में और खासतौर पर नोएडा, ग्रेटर नोएडा में वर्चस्व को लेकर अक्सर आमने सामने रहते हैं। पिछले दिनों सपा से भाजपा में शामिल होकर निर्विरोध एमएलसी निर्वाचित हुए क्षेत्र के बड़े नेता नरेंद्र भाटी और सुरेंद्र नागर में भी लंबे समय से वर्चस्व की लड़ाई रही है। नरेंद्र भाटी का सुरेंद्र नागर को राजनीतिक व्यक्ति मानने से भी हमेशा गुरेज रहा है।वे उन्हें नेता नहीं बल्कि व्यापारी ही मानते हैं। नरेंद्र भाटी के भाजपा में आने से सुरेंद्र नागर के विरुद्ध मोर्चा खोलने को उत्सुक लॉबी को बहुत मजबूती मिली है। परंतु असल खेल पुलिस कमिश्नर के बदलने के बाद हुआ। पूर्व पुलिस कमिश्नर आलोक सिंह और सांसद डॉ महेश शर्मा की कभी नहीं बनी।
श्रीकांत त्यागी प्रकरण ने दोनों की अदावत में नीम के तेल का तड़का लगा दिया था। आलोक सिंह और सुरेंद्र नागर के बीच ट्यूनिंग ठीक रही और माना जाता है कि जो बड़े धंधेबाज सुरेंद्र नागर के निकट थे, उन्हें पूर्व पुलिस कमिश्नर का भी आशीर्वाद रहा। उनके तबादले और लक्ष्मी सिंह के पुलिस कमिश्नर बनने से परिदृश्य काफी कुछ बदल गया है। पहले फल फूल रहे धंधेबाजों से पुलिस संरक्षण हट गया है। बदले निजाम में सुरेंद्र नागर के विरुद्ध भाजपा की वह लॉबी फ्रंट पर आ गई है।हाल ही में दादरी के मिहिरभोज कॉलेज में एक पुस्तकालय के उद्घाटन अवसर पर सुरेंद्र नागर को आमंत्रित न करना और मंच से उनको ललकारना उसी मोर्चेबंदी का प्रदर्शन था। हालांकि इस मोर्चेबंदी में भाजपा के ही दो विधायक नोएडा से पंकज सिंह और जेवर से धीरेन्द्र सिंह शामिल नहीं हैं। ये दोनों तटस्थ नहीं हैं। उनके अपने अपने मोर्चे हैं।