वाशिंगटन। व्यापक आव्रजन सुधारों पर चल रही संसदीय बहस के बीच एक वरिष्ठ अमेरिकी सांसद ने भारत की बड़ी सूचना प्रौद्योगिकी (आइटी) कंपनियों पर एच1बी वीजा प्रणाली के दुरुपयोग का आरोप लगाया है।
संसद की न्याय समिति की आव्रजन सुधारों पर सुनवाई के दौरान सांसद रिचर्ड डर्बिन के कहा कि अमेरिका में काम करने के लिए जरूरी एच1बी वीजा का दुरुपयोग किया जा रहा है। डर्बिन ने इंफोसिस, टीसीएस, विप्रो, टाटा जैसी शीर्ष भारतीय आइटी कंपनियों को आउटसोर्सिग करने वाली कंपनियां बताते हुए आरोप लगाया कि ये कंपनियां एच1बी वीजा का दुरुपयोग कर रही हैं। मुझे यह जानकर हैरानी है कि एच1बी वीजा माइक्रोसॉफ्ट जैसी कंपनियों को नहीं दिया जाता। यह ऐसी कंपनियों को दिया जा रहा है, जो ऐसे कर्मचारियों, इंजीनियरों को ढूंढ रही हैं, जो अगले तीन साल तक कम वेतन पर काम कर सकें।
उन्होंने कहा कि दो भारतीय मूल के अमेरिकियों ने समिति के सामने गवाही दी और भारतीय आइटी कंपनियों के खिलाफ दावों का समर्थन किया था। माइक्रोसॉफ्ट के कानूनी व कारपोरेट मामलों के कार्यकारी उपाध्यक्ष ब्रैड स्मिथ ने भी इस मुद्दे पर डर्बिन का साथ दिया। संसद में प्रस्तावित व्यापक आव्रजन विधेयक के पारित होने और राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के बाद कानून बन जाने पर कंपनियों को अमेरिकी नागरिकों को प्राथमिकता देनी होगी। कर्मचारियों का वेतन भी पहले से बेहतर हो जाएगा।
केवल वही कंपनियां एच1बी वीजा का इस्तेमाल कर पाएंगी, जिनमें पचास फीसद से ज्यादा अमेरिकी काम कर रहे होंगे। अमेरिका भारत व्यापार परिषद और भारतीय उद्योग परिसंघ ने इसका विरोध किया है। उनका कहना है कि यह भावना भारत और अमेरिका के रणनीतिक संबंधों के खिलाफ है।