महाराष्ट्र में आवारा कुत्तों की बढ़ती संख्या को काबू करने के लिए विधायक ओमप्रकाश बाबाराव कडू उर्फ बच्चू ने विधान सभा के दौरान सलाह सलाह दी कि आवारा कुत्तों को असम भेज देना चाहिए। वहां के लोग कुत्तों को खाते हैं। अभी एक शहर में यह प्रयोग करना चाहिए। अगर सफल हों तो इसे पूरे राज्य में लागू करना चाहिए। कडू प्रहार जनशक्ति पार्टी के प्रमुख हैं। वह अचलपुर से विधायक हैं।
कडू ने यह बयान विधानसभा में ध्यानाकर्षण प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान दिया था। वह आवारा कुत्तों के कारण होने वाली समस्याओं के बारे में विधायक प्रताप सरनाइक और अतुल भातखलकर द्वारा उठाए गए मुद्दे पर चर्चा के दौरान बोल रहे थे।
आठ से नौ हजार रुपए में कुत्ते बिकते हैं
बच्चू कुड्डू ने कहा कि कुत्तों की असम में कीमत है। वहां आठ से नौ हजार रुपए में कुत्ते बिकते हैं। जब हम गुवाहाटी गए थे तो पता चला कि जिस तरह अपने यहां बकरे का मांस खाया जाता है, उसी तरह असम में कुत्ते का मांस खाया जाता है। ऐसे में वहां के व्यापारियों को बुलाकर इस पर उपाय योजना करने की जरूरत है। एक दिन में आवारा कुत्तों की समस्या का हल निकल जाएगा। इसके लिए असम की सरकार से बातचीत करने की जरूरत पड़ेगी
डॉग मीट खाने की पुरानी परंपरा
मीडिया रिपोर्टों के अनुसार दीमापुर में 15 ट्राइब्स हैं,उनके यहां डॉग मीट खाने की पुरानी परंपरा रही है। देश के दूसरे हिस्सों में जैसे लोग मटन और चिकन खाते है, उसी तरह वहां डॉग मीट खाते हैं। सुरो सेमो के अनुसार, दीमापुर के मार्केट में ज्यादातर कुत्ते असम से लाए जाते हैं।
2020 में कुत्तों के मीट पर लगा प्रतिबंध, कोर्ट से मिला स्टे
जुलाई 2020 से पहले नगालैंड में डॉग मीट की बिक्री पर बैन नहीं था। 2 जुलाई 2020 को प्रदेश सरकार ने कुत्ते के मांस की बिक्री पर प्रतिबंध लगाने के साथ ही प्रदेश में डॉग मार्केट बंद करने का फैसला लिया था। इसके आयात और कारोबार पर भी प्रतिबंध लगा दिया गया। मार्च 2020 में ही मिजोरम में भी पशुओं की स्लॉटरिंग यानी कत्ल के लिए मुनासिब जानवरों की परिभाषा से कुत्तों को हटाने से जुड़े कानून में संशोधन किया गया था।
सरकार के इस फैसले के खिलाफ जुलाई 2020 में दीमापुर के मांस बेचने वाले कारोबारी गुवाहाटी हाईकोर्ट की कोहिमा बेंच चले गए थे। अपनी याचिका में उन्होंने कहा था कि इस फैसले से उनका कारोबार प्रभावित हुआ है। याचिका पर सुनवाई करते हुए जस्टिस एस. हुकातो स्वू ने अगली सुनवाई तक राज्य सरकार के बैन वाले फैसले पर स्टे लगा दिया था।