श्रीकांत त्यागी की गिरफ्तारी के साथ ही नोएडा प्राधिकरण में उसकी पहुंच और अधिकारियों से सांठगांठ पर सवाल उठने शुरू हो गए हैं एक प्रमुख अखबार में छपे समाचार के अनुसार बीते 3 साल में नोएडा प्राधिकरण के अधिकारी इसके भोकाल के आगे नतमस्तक हो गए थे अखबार लिखता है कि नोएडा प्राधिकरण में उसके अधिकारियों से अच्छे संबंध हैं इसीलिए प्राधिकरण द्वारा उसके अतिक्रमण हटाने मामले में कोई रुचि नहीं दिखाई गई I
अखबार का यह भी दावा है की औद्योगिक और संस्थागत भूखंडों की योजना जब भी निकलती थी तो वह अपने करीबियों के नाम से कई कई आवेदन करता था और सबसे ज्यादा उसी की नोएडा प्राधिकरण चलती थी और वह इन प्लॉटों को अपने नाम पर करवा लेता था बाद में इन्हें ऊंचे दामों पर बेच देता था । आपको बता दें नोएडा प्राधिकरण देते 40 साल से नोएडा में संस्थागत और औद्योगिक भूखंडों की योजना लाता रहा है जिसमें लकी ड्रा के माध्यम से लोगों को प्लॉट दिया जाता है इन लकी ड्रॉ पर हमेशा सवाल उठते रहे हैं कि इसमें फेवरेटिज्म चलता है इसमें घोटाले होते हैं और अधिकारी मोटा पैसा लेकर या राजनीतिक दबाव के चलते अपने चहेतों को प्लॉट बांट देते हैं और आम आदमी बस मन मसोस के रह जाता है
प्राधिकरण के अधिकारियों पर कसेगा शिकंजा ?
अब उसकी गिरफ्तारी के बाद सवाल यह उठ रहे हैं कि क्या उत्तर प्रदेश सरकार नोएडा प्राधिकरण में बैठे उसके समर्थक अधिकारियों पर कोई कार्यवाही करेगी या फिर गिरफ्तारी को ही सबसे बड़ी सफलता मान कर इस कथा का पटाक्षेप कर दिया जाएगा और बड़े-बड़े सफेदपोशो को बचा लिया जाएगा