ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी ने शहर में बढ़ते कुत्तों के आतंक और निवासियों के विरोध के दबाव के बीच अचानक से राहत के रूप में ग्रेटर नोएडा में कुत्तों के रजिस्ट्रेशन अनिवार्य कर दिया है साथ ही एक तुगलकी फरमान दिया है कि सोसाइटी के अंदर फीडिंग पॉइंट बनेंगे जबकि सबको पता है कि यही फील्डिंग पॉइंट के ऊपर सोसायटियो में झगड़ा है I असल में तथाकथित स्वयंभू कुत्ता प्रेमी संस्थाओं के लोग सोसाइटी के अंदर लोगों के आने-जाने वाले रास्तों पर कुत्तों को लगातार खाना खिलाने की कोशिश करते हैं जिसके बाद ही झगड़े उत्पन्न होते हैं अब ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण की मॉनिटरिंग कमेटी ने विवादित फैसला देते हुए कहा है कि सोसाइटी के अंदर फीडिंग पॉइंट बनाए जाएंगे वही कुत्तों के रजिस्ट्रेशन के लिए मात्र ₹100 का चार्ज लगाया जा रहा है जबकि नोएडा में यही चार्ज ₹500 है, ऐसे मैं लोगों ने हमेशा कहा है कि कुत्ता पालने के लिए लाइसेंस फीस कम से कम ₹1000 होनी चाहिए और विदेशी कुत्तों के लिए यह चार्ज ₹5000 होना चाहिए क्योंकि कुत्तों को खरीदने और बेचने का व्यापार देश में बढ़ता जा रहा है एक एक कुत्ता ₹5000 से लेकर लाखों रुपए तक खरीदा और बेचा जाता है
ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण की मॉनिटरिंग कमेटी पर उठे सवाल
ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण ने जिस मॉनिटरिंग कमेटी के आधार पर यह फैसला लिया है उस पर भी सवाल उठ रहे हैं इस मॉनिटरिंग कमेटी में एसीईओ दीप चंद, उप महाप्रबंधक वरिष्ठ प्रबंधक सलिल यादव, स्वास्थ्य हेल्थ ऑफिसर डा प्रेम चंद के अलावा जो सबसे ज्यादा चौंकाने वाले नाम है वह हैं सोफी मेमोरियल एनिमल रिलीफ ट्रस्ट के मैनेजिंग डायरेक्टर यश राज भारद्वाज और एनिमल एक्टिविस्ट यशोमती का।
जिसके बाद इस कमेटी के ऊपर पहला सवाल यह है कि आखिर अधिकारियों और स्वास्थ्य विभाग के बाद सिर्फ एनिमल एक्टिविस्ट को इसमें शामिल क्यों किया गया है क्यों नहीं उन लोगों के प्रतिनिधियों को भी शामिल किया गया जो इन आवारा कुत्तों के आतंक से दुखी हैं ऐसा लगता है डॉग मॉनिटरिंग कमिटी के नाम पर कुत्ता प्रेमी संस्थाओं को ही इसमें ले लिया गया है जिसकी वजह से ऐसे तुगलकी फैसले लिए गए
पालतू कुत्तों के शहर में पालने को लेकर नहीं है कोई गाइडलाइन
सबसे बड़ी बात इस मॉनिटरिंग कमेटी के फैसले पर यह है किस मॉनिटरिंग कमेटी ने ऐसी कोई गाइडलाइन नहीं दी जिसमें कुत्ता पालने वाले लोगों के लिए कोई गाइडलाइन बनाई गई गाजियाबाद नगर निगम तक ने शहर में डॉग मालिकों को घुमाने के समय उनके मुंह पर सूट और गले में पट्टा लगाना अनिवार्य किया हुआ है यहां तक कि पालतू जानवरों के लिए मंथली ट्रेनिंग की भी बात की जाती है मगर इस तरीके की कोई एडवाइजरी ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण की मॉनिटरिंग कमेटी ने नहीं की
बीते दिनों लखनऊ में ऐसे ही एक पालतू कुत्ते ने अपनी ही मालकिन की नोच नोच कर हत्या कर दी थी I जिसके बाद ये सवाल उठे थे कि आखिर पालतू कुत्तो के व्यवहार पर कैसे लगातार मोनिटरिंग ज़रूरी है I लखनऊ के केस में ये भी निकल कर आया कि पालतू कुत्ता घर की घंटी बजते ही हिंसक होता था जिस को लगातार नज़रअंदाज किया गया I ऐसे में पालतू जानवरों पर मोनिटरिंग कमिटी की चुप्पी सोचनीय है
लखनऊ में ही बीते दिनों मुख्यमंत्री के आदेश के बाद पालतू कुत्तो को सार्वजनिक पार्को में शोच कराने पर 5000 तक के जुर्माने लगाये थे I 18 मई 2022 को मुख्यमंत्री ने अपने आदेश में साफ़ कहा था कि सडको से आवारा कुत्तो और गायो को हटाना नगर निगम या अथोर्टी के बेसिक कामो में से एक महत्वपूर्ण काम है लेकिन ऐसा लगता है ग्रेटर नॉएडा अथोर्टी ने या तो मुख्यमंत्री के आदेशो को समझा नहीं था या फिर नज़रअंदाज कर दिया है I
प्रोजेक्ट भैरव पर उठते रहे हैं सवाल
ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण आवारा कुत्तों के आतंक को लेकर कितना संवेदनशील है इस बात को आप इस तरीके से भी समझ सकते हैं कि प्राधिकरण के सबसे महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट” प्रोजेक्ट भैरव” पर भी लगातार सवाल उठते रहे हैं प्राधिकरण के अधिकारी कहते हैं कि प्रोजेक्ट भैरव कुत्तों की नसबंदी करने में बड़ा कारगर साबित हो रहा है जबकि जमीनी सच्चाई यह है कि अगर प्रोजेक्ट भैरव से लगातार नसबंदी हो रही है और कुत्तों का डाटा बनाया हो रहा है तो नसबंदी के बाद इन कुत्तों की पहचान के लिए कुत्तो पर कोई टैगिंग क्यों नहीं है जिस तरीके से सांड और गायों के साथ गौशाला में की जाती है साथ ही बड़ा सवाल यह है कि अगर नसबंदी इतनी कारगर है तो फिर आखिर कुत्ते लगातार बढ़ कहां से रहें ऐसे मामलों पर प्राधिकरण के अधिकारी और डॉग मॉनिटरिंग कमेटी चुप्पी साध लेते हैं