पूर्व केंद्रीय मंत्री व सुल्तानपुर सांसद मेनका गांधी ने वन महोत्सव के एक कार्यक्रम मे मीडिया से बात करते हुए कहा कि मानसून देर से आने का एक ही कारण है ओर वो है मांस खाना और उसका निर्यात करना। उन्होंने कहा जब आप मांस खातें हैं या मांस का निर्यात करते हैं तो सारे भैस, बकरे गाय जंगल में घूमते है, वह सारे नए पौधों को खा जाते हैं। आंध्र प्रदेश के एक ही जंगल में चार लाख भैसे घूम रहीं हैं। अब वह कोई भी नया पौध जंगल में छोड़ नहीं रहे हैं। मेनका गांधी ने कहा कि 25 प्रतिशत से कम यदि देश में जंगल हो तो वह देश चल नहीं सकता। पानी सूख जाएगा, बरसात होगी नहीं। पूरा पर्यावरण सिस्टम खराब हो जाएगा। जंगल में पशु मांस के लिए छोड़े जा रहे हैं। हम केवल 30 फीसदी मांस खा रहे हैं। 70 फीसदी मांस का निर्यात कर रहे हैं।
मेनका यही नहीं रुंकी उन्होने कहा सुलतानपुर में हम पेड़ लगाएंगे तो वह माइक्रो क्लाइमेंक्स दूसरों से अच्छा हो जाएगा। दिल्ली में अकेला मेरा घर है जो जंगल है, ओर दिल्ली में उसका मौसम सात डिग्री कम है। हमें एसी लगाने की जरूरत नहीं पड़ती। बाकी दुनिया को छोड़ हम सुलतानपुर में 25 लाख पेड़ लगा दे और उसका देखभाल करें तो हालत बदल जाएंगे।