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विरोध के बाद हिंदू भगवान चित्रगुप्त और यमराज को अपमानित ढंग से प्रदर्शित करके पर “नमस्ते इंडिया” ने मानी अपनी गलती, यूट्यूब से हटाए अपतिजनक विज्ञापन

भारत में फिल्मों और विज्ञापनों में हिंदू भगवानों का हास्य चित्रण और अपमानजनक चित्रण आम बात हो चुकी है प्रगति शील और वैज्ञानिक होने के दावे के साथ अक्सर फिल्मों में हिंदू भगवानों का मजाक उड़ा लिया जाता है इसी क्रम में नमस्ते इंडिया नाम की एक कंपनी ने हिंदू भगवान यमराज और भगवान चित्रगुप्त का मजाक उड़ाता हुआ एक विज्ञापन यूट्यूब पर प्रदर्शित किया था जिसके बाद तमाम हिंदू संगठनों ने सोशल मीडिया पर इसका विरोध करना शुरू करा और गाजियाबाद के एक वकील सुमित कुमार श्रीवास्तव ने इसको लेकर ना सिर्फ नमस्ते इंडिया कंपनी बल्कि इसे बनाने वाली क्रिएटिव कंपनी के साथ-साथ भारत सरकार और यूट्यूब को भी नोटिस भेजा और इस पर जवाब मांगा था

लगातार बढ़ते विरोध और नोटिस के बाद आखिरकार नमस्ते इंडिया ने अपनी गलती मान ली और सुमित कुमार श्रीवास्तव को भेजे अपने जवाब में कहा कि वह स्वयं भी हिंदू धर्म और हिंदू भगवानों का सम्मान करते हैं ऐसे में लोगों की भावनाओं को देखते हुए वह इस विज्ञापन को यूट्यूब से हटा रहे हैं

अधिवक्ता सुमित कुमार श्रीवास्तव ने एनसीआर खबर को बताया की नमस्ते इंडिया कंपनी के लीगल सेल ने उन्हें उनके नोटिस के जवाब में बताया कि उन्होंने हिंदू भगवानों का अपमान करते हुए इस विज्ञापन को हटा लिया कंपनी ने कहा कि वह स्वयं भी हिंदू हैं और हिंदू भगवानों का सम्मान करते है मैं इस मामले पर सोशल मीडिया में लड़ाई लड़ रहे विनीत खरे ने एनसीआर खबर को नमस्ते इंडिया द्वारा यूट्यूब पर विज्ञापन हटाए जाने का स्क्रीनशॉट भी भेजा ।

कौन है भगवान यमराज और चित्रगुप्त ?

अक्सर फिल्मों में हास्य पात्र के तौर पर दिखाकर अपमान किए जाने वाले भगवान यमराज और भगवान चित्रगुप्त के बारे में लोगों को जानकारी नहीं है गरुण पुराण के अनुसार व्यक्ति जब मृत्यु के उपरांत भगवान चित्रगुप्त के पास जाता है तो भगवान चित्रगुप्त उसके कर्मों के आधार पर उसके जीवन का आकलन करते हैं और उसको स्वर्ग या नरक में भेजे जाने का आदेश देते हैं जिसके बाद यमराज इस पूरी प्रक्रिया को हैंडल करते हैं और व्यक्ति के कर्मों के हिसाब से उसको दंड देते हैं कहा जाता है कि भगवान चित्रगुप्त की पूजा करने से केतु ग्रह के कारण उत्पन्न हुए दोष समाप्त हो जाते हैं वही पौराणिक कहानियों के अनुसार इंद्र ने जब एक बार अपने गुरु बृहस्पति का अपमान कर दिया था तब अपने पापों के प्रायश्चित के लिए इंद्र ने भगवान चित्रगुप्त से अपने बुरे पापों को नष्ट करने की प्रार्थना की थी ऐसे में दक्षिण भारत में तमिल कैलेंडर के अनुसार चित्र पूर्णिमा के दिन लोग उनकी पूजा करके अपने पापों की क्षमा मांग मांगते हैं वही उत्तर भारत में दूज के दिन यम द्वितीया के दिन यमराज की पूजा की जाती है और भगवान चित्रगुप्त की कलम दवात की पूजा की जाती है कहां जाता है भगवान चित्रगुप्त के वंशज कायस्थ समाज के लोग दीपावली के दिन अपनी कलम को रख देते हैं उसके बाद दूज के दिन ही उस कलम को धारण करते हैं ।

NCRKhabar Mobile Desk

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