उत्तर प्रदेश चुनावों को लेकर एबीपी न्यूज द्वारा कराए गए सर्वे में भाजपा को लगभग 41प्रतिशत वोट के साथ 213 से 221 सीट मिलने का अनुमान लगाया गया है जबकि समाजवादी पार्टी को 31 प्रतिशत वोटो के साथ 152 से 160 सीट ही मिलने का अनुमान लगाया गया है । बसपा को 15 प्रतिशत वोट के साथ 15 से 20 तथा कांग्रेस को महज प्रतिशत वोट के साथ 9 से 10 सीट ही मिलने का अनुमान लगाया गया है ।
सर्वे के आधार भाजपा को गौतम बुध नगर और गाजियाबाद में हो सकता है नुकसान
शुक्रवार को आए इस सर्वे के बाद गौतमबुद्ध नगर और गाजियाबाद में सभी पार्टियों के समीकरण एक बार फिर से बदल सकते है । आपको बता दें 2017 में भाजपा ने गौतम बुध नगर में दादरी और जेवर सीट बसपा से ले ली थी जिन पर समाजवादी पार्टी का खेल मजबूत होता दिख रहा है । दादरी में सम्राट मिहिर भोज प्रकरण के बाद जिस तरह गुर्जर समाज ने भाजपा नेताओं और जनप्रतिनिधियों के विरोध का झंडा उठाया है उससे भाजपा को नुकसान होना तय है । पहली बार नोएडा में भी पंकज सिंह के खिलाफ वैश्य समाज ले विरोध को अगर विपक्षी दलों ने हवा दे दी तो यहां भी भाजपा की जीत का अंतर कम भी हो सकता है ।
वही गाजियाबाद में भी इस बात भाजपा की 2 सीट समाजवादी पार्टी के पास जाने की पूरी संभावना है हालांकि लोनी सीट पर नंद किशोर गुर्जर का गढ़ अभी भाजपा के पास ही रहेगा।
समाजवादी पार्टी में भी टिकट को लेकर है तकरार
सर्वे में समाजवादी के बढ़ते प्रभाव का असर जिले की विधान सभाओं पर भी देखा जा रहा है । नोएडा विधानसभा में पहली बार समाजवादी पार्टी में अभी तक प्रत्याशी रहे सुनील चौधरी को चुनौती मिल रही है । 2 मुस्लिमो के अलावा इस बार वैश्य समाज से मनोज गोयल भी अपनी दावेदारी ठोक रहे है और कह रहे है की पार्टी के 60 हजार वोट के बाद जीतने के लिए जरूरत का 70000 वोट वो वैश्य समाज के बलबूते ला सकते है । वही दादरी में राजकुमार भाटी की दावेदारी अब लगभग तय मानी जा रही है और कहा जा रहा है कि इस बार खेल पलट सकता है
कांग्रेस आंतरिक कलह से ही बाहर नही निकल पा रही
2022 के विधान साभार प्रियंका गांधी का लड़की हूं लड़ सकती हूं का नारा भी गौतम बुध नगर और गाजियाबाद में कोई खास फायदा देता नही दिख रहा है । बीते दिनों अचानक ही जिलाध्यक्ष बदल देने के बाद नोएडा और जिले में संगठन में ही आपस में मतभेद उभर आए हैं जिसके कारण पुराने अध्यक्ष के साथी नए के कार्यक्रम में कम ही दिखाई दे रहे है । प्रत्याशी के लिए आवेदन दिए लोग भी अपने अपने गुट के हिसाब से कांग्रेस की मीटिंग में दिख रहे है, सर्वे के बाद नोएडा में एक मात्र मजबूत प्रत्याशी पंखुड़ी पाठक का भी नुकसान होना तय दिख रहा है ।
बसपा के गड़ में पहली बार उसका आधार कमजोर
बहुजन समाज पार्टी पहली बार नोएडा और दादरी सीटों पर कार्यकर्ताओं को कमी से जूझ रही है । जिले की राजनीति में पहली बार बहुजन समाज के नेता बसपा छोड़ कर सपा में जाने को लालायित दिख रहे है और लगातार उनके पार्टी छोड़ने के समाचार आ रहे है ।
आम आदमी पार्टी का जमानत बचा पाना भी नही संभव
दोनो ही जिलों में आम आदमी पार्टी ने भले ही अपने प्रत्याशी लगभग घोषित कर दिए है लेकिन इनकी जमानत भी बच जाए तो उसके लिए संतोष की बात होगी । इसके पीछे संगठन का जमीन पर क्रियाशील ना होना और नए जुड़े नेताओ का लगातार पार्टी छोड़ना भी मुख्य कारण रहेगा