(फेसबुक लघु कथाएं)main newsअपना ब्लॉगसोशल मीडिया से

नबाब साहब का बेटा और समाज

बहुत समय पहले की बात है नबाब साहब का लड़का रंगरलियां मनाया पकड़ा गया शहर के कोठो पर सभी शरीफ लोगो ने जाना बंद कर दिया । तवायेफे रोने लगी हाय अभी तो बच्चे के दूध के दांत भी नही गए थे और अंग्रेजो की पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया।

नबाब साहब कुछ दिन तक शांत रहे सोचा उनके नाम पर ही पुलिस माफी मांग लेंगी समाज में रुतबा बढ़ेगा
मगर छोटे काजी ने जमानत देने से मना कर दिया, नबाब साहब काजी को खुले आम तो कुछ कह नहीं सकते थे परदे के पीछे से समझाया मगर काजी अड़ गया । अब नबाब साहब के सब्र टूटने लगा संसार भर के नामी वकीलों को खड़ा किया जाने लगा, रुदालियो और तवायफो ने कोठों और बाजारों को रोना शुरू किया है बच्चे को फंसा लिया ।

शहर के शरीफों ने तवायफों की बात को सही माना और मुख्य काजी के सामने सुनवाई के बाद जमानत दिलवाई गई । इस तरह शहर में वापस अमन और चैन लौटा, नबाब सहाब की इज्जत लौटी वो नबाब साहब जो अपनी जवानी में किसी ख़ाकसार के घर इसलिए पीटने पहुंच जाते थे कि उन कुछ दिया, वो नबाब साहब जो खेल में इसलिए झगड़ पड़ते थे कि किसी ने उनको हरा कैसे दिया या वो नबाब साहब जिनकी पतलून अंग्रेज इसलिए उतरवा लेते थे कि अंग्रेजो को लगता है वो अंदर कुछ नही पहनते । उनके बेटे को एक स्वयंभू ईमानदार ने बदनाम कर दिया


बहराल शहर अब शांत है नबाब साहब का एक आदमी उस मरदूद पुलिस वाले के पीछे लग गया है जिसने नबाब साहब को ऐसे दिन दिखाए। नबाब साहब खुद सोच रहे है कि ये शहर अब रहने लायक नही रहा। क्यों ना उनके चाचा वाले दुश्मन और कंगाल शहर में जाया जाए पर वहां की गरीबी उनके पैर रोक रही है और यहां की तवायफ उनको कब तक यहां रोक पाएंगे भगवान जाने । पर तवायफों के शोर और घुंगरू में बड़ी ताकत है फैसले बदलवा देती है इज्जत बचा लेती है ।

आशु भटनागर की फेसबुक वाल से

NCRKhabar Mobile Desk

हम आपके भरोसे ही स्वतंत्र ओर निर्भीक ओर दबाबमुक्त पत्रकारिता करते है I इसको जारी रखने के लिए हमे आपका सहयोग ज़रूरी है I अपना सूक्ष्म सहयोग आप हमे 9654531723 पर PayTM/ GogglePay /PhonePe या फिर UPI : ashu.319@oksbi के जरिये दे सकते है

Related Articles

Back to top button