नई दिल्ली। जिस परमाणु ऊर्जा के लिए सरकार हर हद से गुजरने के लिए तैयार दिखती है। उस तरह का एक प्लांट महाराष्ट्र के एक गांव में मौत की वजह बन गया है। तारापुर का प्रसिद्ध एटॉमिक एनर्जी प्लांट की वजह से लोग पल-पल मरने को मजबूर हैं। हर तरफ मौत की बीमारियां दिखती हैं। लोग बेबस हैं और सरकार नाकाम।
मुंबई से करीब डेढ़ सौ किलोमीटर दूर ठाणे जिले में तारापुर है। जहां देश का सबसे पुराना परमाणु पॉवर प्लांट है। जिससे पूरे महाराष्ट्र में बिजली की सप्लाई होती है। तारापुर अटॉमिक पॉवर स्टेशन से सटा घिवली गांव है। घिवली में अविनाश मोरे रहते हैं। अविनाश पहले मजदूरी किया करते थे, लेकिन पिछले कुछ बरसों से लगातार तारापुर परमाणु प्लांट पर सवाल खड़े हो रहे हैं। खासतौर से जापान के फुकुशीमा हादसे के बाद इन सवालों में और इजाफा हो गया है।
स्थानीय लोगों का आरोप है कि रेडिएशन की वजह से लोगों को कैंसर हो रहा है। इस गांव में तकरीबन 15000 की आबादी वाली इंसानी बस्ती है। अविनाश पहले मजदूरी किया करते थे लेकिन रेडिएशन की चपेट में आने के बाद अब गांव में पेंटर का काम करते हैं। दरअसल अविनाश का घर न्यूक्लियर पॉवर प्लांट की बाऊंड्रीवाल से बिलकुल सटकर है और यही वजह है कि रेडिएशन का असर अविनाश पर इस कदर हुआ कि उनके दोनों हाथों की उंगलियां अब ज्यादा काम नहीं कर पाती। पिछले कई सालों में रेडिएशन ने अविनाश के शरीर के व्हाइट ब्लड सेल को कमजोर कर दिया जिसके चलते बिमारियों से उसकी लड़ने की ताकत यानी उसकी रोक प्रतिरोधक क्षमता लगातार घटती गयी। आलम ये है कि उसके हाथों की उंगलियां सिकुड़ने लगीं और हड्डियां कठोर होने लगी हैं।