गाजियाबाद सूफी तांत्रिक पिटाई कांड में अब एक के बाद एक नए खुलासे हो रहे हैं गाजियाबाद पुलिस के अपराध शाखा प्रभारी इंस्पेक्टर संजय पांडे ने मीडिया को बताया है कि 5 जून को सूफी तांत्रिक से हुई मारपीट की वारदात में उसकी दाढ़ी नहीं काटी गई थी। पुलिस से पूछताछ में उमेद पहलवान ने बताया कि उसने मामले को सांप्रदायिक रंग देने के लिए खुद ही पीड़ित बुजुर्ग की दाढ़ी कटवा दी थी और सभी आरोपियों की पहचान ज्ञात होने के बावजूद पुलिस में अज्ञात के खिलाफ तहरीर दिलाई इसके बाद पुलिस ने आरोपी उमेद पहलवान के खिलाफ धोखाधड़ी और कूट रचना की धारा बढ़ा दी है
पुलिस के अनुसार उमेद पहलवान अपनी राजनीतिक महत्वाकांक्षा के लिए इस पूरी घटना का धार्मिक इस्तेमाल करना चाहता था। उमेद न सिर्फ लोगों की भावना भड़का कर पार्टी में वर्चस्व हासिल करना चाहता था बल्कि इसके जरिए आगामी चुनाव में भी लड़ना चाहता था पुलिस अधीक्षक ग्रामीण डॉक्टर ईराज राजा ने बताया की गिरफ्तारी के बाद उमेद पहलवान ने शुरू में पुलिस को गुमराह करने की कोशिश की पहले वह कहता रहा कि जितना उसे बुजुर्ग ने बताया उसी को फेसबुक लाइफ में उसने कहा था लेकिन जब पुलिस ने सख्ती की तो आरोपी ने पूरी वारदात को स्वीकार कर लिया
पुलिस के साथ उमेद के स्वीकार किए गए बयान के अनुसार 5 जून को सूफी तांत्रिक के साथ मारपीट की घटना हुई 6 जून को एक पार्षद ने बुलाकर पीड़ित की मदद करने के लिए कहा था उसने उसी समय तय कर लिया था कि इस वारदात को राजनीतिक रंग देकर सनसनीखेज बनाना है इसलिए उमेद ने पीड़ित सूफी तांत्रिक को समझा दिया कि उसे आरोपियों के नाम नहीं बताने हैं
वही पुलिस ने एक और खुलासा इस मामले में किया है कि उमेद पहलवान अपने आप को बचाने के लिए सूफी तांत्रिक अब्दुल समद और उसके बेटे को लेकर लगातार घूम रहा था ताकि उससे एक शपथ पत्र नोटरी में बनवाकर अपने सुरक्षा के लिए रख सके जिसमें यह लिखा जाना था कि उमेद ने जो फेसबुक लाइफ में कहा वह बुजुर्ग की बातों के अनुसार कहा और उसके बाद वह सरेंडर कर दें लेकिन उससे पहले ही पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया