कोरोना संक्रमण ने उत्तर प्रदेश की ग्रामीण स्वास्थ्य सेवाओं की पोल खोल दी है इसी क्रम में एनसीआर खबर ने सभी विधानसभा में का एक-एक कर जमीनी सच जानने की कोशिश की है जेवर विधानसभा को लेकर उत्तर प्रदेश सरकार हमेशा काफी आशान्वित रहती है यहां पर नई यमुना अथॉरिटी बनाई गई इंटरनेशनल एयरपोर्ट फिल्म सिटी जैसे बड़े प्रोजेक्ट यहां आ रहे हैं लेकिन क्या ग्रामीण क्षेत्रों में सरकार की कोई प्राथमिकता रही है
तो इसका जवाब नहीं है जेवर के दयानतपुर रोही बनकापुर दौरा चाचणी गोपालगढ़ जैसे गांव में स्थित स्वास्थ्य केंद्रों की हालत बहुत दयनीय है यह लोगों को ओपीडी की सुविधाएं भी नहीं मिल पा रही हैं चांचली में बने स्वास्थ्य केंद्र के हालात ऐसे हैं कि यहां स्वास्थ्य केंद्र के अंदर ही भूसा और चारा भरा हुआ है
बीते दिनों बिलासपुर गांव में मीडिया की में खबरें आने के बाद और स्थानीय लोगों की मांग उठने के बाद स्थानीय विधायक ने ध्यान दिया और वहां की दशा भी निजी कमनियो और समाजसेवियों से सहयोग से कुछ सुधारी गई। जबकि ये सब कार्य प्रशासन या विधायक निधि से होने चहिए थे
रबूपुरा में 3 प्राथमिक स्वास्थ्य उप केंद्र बंद है पूरे कस्बे में मात्र एक अस्पताल में हैं वैक्सीनेशन हो रहा है जिसके चलते मरीजों को सरकारी इलाज नहीं मिल पा रहा है
मीडिया में आ रही खबरों के अनुसार फलैदा गांव में भी सरकारी स्वास्थ्य केंद्र बीते 10 सालों से बंद है
गौतम बुध नगर के सबसे शो विंडो कहे जाने वाले विधानसभा में गांव के हालात स्वास्थ्य विभाग और प्रशासन पर सवाल खड़े करते हैं बड़ा सवाल यह भी है कि आखिर भाजपा की सरकार बनने के बाद बीते 4 सालों में इन पर ध्यान क्यों नहीं दिया गया लोगों का सीधा आरोप है कि भाजपा शासन में स्वास्थ्य कभी मुद्दा रहा ही नहीं है । अगर कोरोना नहीं आता तो शायद इन स्वास्थ्य केंद्रों की हालात पर चर्चा ही नही हो पाती
हालांकि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जिले के सभी सांसदों और विधायकों से ही अपील कर चुके हैं कि वह अपने अपने क्षेत्रों के स्वास्थ्य केंद्रों को गोद ले लेकिन अगले विधानसभा चुनाव में मात्र 8 महीने रह जाने से ऐसा लग नहीं रहा है कि इन पर बहुत कुछ हो पाएगा ऐसे में उत्तर प्रदेश में स्वास्थ्य को लेकर बड़ी लाइन विधानसभा चुनाव के बाद चुनी गई नई सरकार से ही जनता उम्मीद करेगी