देश में कोरोना महामारी के बाबजूद सरकारों और अधिकारियों का रवैया अभी नही सुधर रहा है । कोरोना की दूसरी लहर में सब को यह समझ आ गया है कि देश में सरकारी स्वास्थ्य सुविधाएं कितनी है और निजी अस्पताल इस तरीके से आपदा में अवसर पर रास्ते फिर रहे हैं कई अस्पतालों में ऑक्सीजन के नाम पर कालाबाजारी हुई तो कहीं निजी अस्पतालों में बेड देने तक के नाम पर कई गुना शुल्क वसूला गया
ऐसे में तीसरी लहर के लिए यह उम्मीद की जा रही थी कि उत्तर प्रदेश सरकार और उसके अधिकारी अब सरकारी अस्पतालों की दुर्दशा को सुधारने के लिए कुछ कदम उठाएंगे लेकिन ऐसा लगता है कि लोकलुभावन वायदों से ही सरकार और उसके अधिकारी कोरोना की जंग जीत लेना चाहते हैं ऐसा ही एक चमत्कार यमुना अथॉरिटी के चेयरमैन अरुण वीर सिंह ने भी किया है
कोरोना की तीसरी लहर से निबटने के लिए यमुना अथॉरिटी ने बच्चों के लिए 100 बेड के अस्पताल के प्रस्ताव निजी संस्थान से मांगे है सेक्टर अट्ठारह और सेक्टर 20 में बनाए जाने वाले इन अस्पतालों के लिए यमुना प्राधिकरण में अस्पताल समूहों से प्रस्ताव मांगे जानकारी के अनुसार इन अस्पतालों के लिए नियम और शर्तें तय कर दी गई है
लेकिन नोएडा ग्रेटर नोएडा और अब यमुना अथॉरिटी में औद्योगिक क्षेत्र में आने वाले लोगों के लिए क्या सरकारी सुविधाएं हैं इस पर किसी अधिकारी का कोई ध्यान नहीं है जानकारी के अनुसार अधिकारियों को सिर्फ निजी अस्पतालों और स्कूलों को सरकारी जमीन देनी होती है और इसके बाद उनका काम खत्म हो जाता है । लोगो के आरोप है कि जिले में औधोगिक अथॉरिटी कॉलोनाइजर बन कर रह गई है। कोरोना के दौर में गौतम बुध नगर में सबसे ज्यादा समस्या निजी अस्पतालों से ही हुई है जबकि स्थानीय पीएचसी व सीएचसी इस हालात में नहीं थे कि वहां अमीर तो छोड़िए गरीब लोग भी इलाज करा सकते हैं।
आपको बता दें गौतम बुध नगर में शहरी लोगो के सिर्फ दो अस्पताल खोले गए हैं एक जिला अस्पताल जो मायावती सरकार में बनाया गया था और दूसरा अस्पताल अखिलेश सरकार के समय बनाया गया था । लेकिन बीते 4 साल में योगी सरकार किसी भी तरीके का सरकारी अस्पताल इस क्षेत्र में बनाने में नाकाम कामयाब रही और गांव के सीएचसी और पीएचसी के हालात किसी से छुपा नहीं है 6 साल के बाद दादरी के खदेड़ा में तमाम मीडिया में खबर आने के बाद 2 डॉक्टर अपॉइंट किए गए हैं ऐसे ही बिलासपुर में नाममात्र के लिए सरकारी पीएससी को खोला गया है और अब फिर से अधिकारी निजी अस्पतालों को जमीन बेच कर अपने सामाजिक कार्यों की इतिश्री समझ रहे हैं
ऐसे में योगी सरकार अपने अधिकारियों को व्यवस्था और प्लानिंग में समाज का हित भी करने की बात करेगी इसका विश्वास करना अब मुश्किल है