बीते 4 महीने से किसान आंदोलन के नाम पर केंद्र की सत्तारूढ़ और प्रदेश की भाजपा सरकार का विरोध कर रहे भारतीय किसान यूनियन ( टिकैत ) को पंचायत चुनावों में बड़ा झटका लगा है
बताया जा रहा है कि पंचायत चुनाव के मद्देनजर किसान यूनियन के नाम पर तैयार इस आंदोलन की पटकथा लिखने वाले हैं टिकैत परिवार की राजनीतिक जमीन इन पंचायत चुनाव में मजबूत नहीं हो पाई है। और किसान आंदोलन में उसके सहयोगी रहे समाजवादी पार्टी और राष्ट्रीय लोक दल ने प्रदेश में पहली स्थिति बना ली है।
जानकारी के अनुसार किसान यूनियन के गढ़ मुजफ्फरनगर में मात्र एक प्रत्याशी जीत पाया है हालांकि बिजनौर में उसके 3 प्रत्याशियों को जीत मिली है सहारनपुर हापुड़ में 11 और बाराबंकी में 2 प्रत्याशी विजय हुए हैं
भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता राकेश टिकैत ने भाजपा सरकार पर बेईमानी का आरोप भी लगाया है और कहा कि इसका जवाब प्रदेश की जनता विधानसभा चुनावों में देगी
भाकियू की खस्ता हालत से लगेगा आंदोलन को झटका
दरअसल इस पंचायत चुनाव में भाग भारतीय किसान यूनियन टिकैत की खस्ता हालत में किसान आंदोलन के पतन की भी कहानी लिख दी है। लगातार कई महीनों से महज कुछ हजार समर्थकों के साथ बैठे किसानों ने के नेता यह बता रहे थे कि पूरा देश इस सरकार के खिलाफ है और टिकट के साथ है इतिहास की एक आवाज पर सैकड़ों लोग दिल्ली खींचे आ रहे हैं । पंचायत चुनाव बता दिया कि टिकैत अब पानी के बुलबुले की तरह हैं और उनको उनके घर में भी लोगों ने नकार दिया है कमाल की बात यह है कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी अभी भी पहली पोजीशन पर है उसके बाद समाजवादी पार्टी है।